नई दिल्ली: भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है। हाल ही में एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहा है। इसके साथ ही भारत की परमाणु नीति हमेशा से पाकिस्तान पर फोकस करती थी, लेकिन अब उसका ध्यान चीन की तरफ है। ये रिपोर्ट फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) ने जारी की है। FAS के अनुसार, भारत में चार नए हथियारों को डेवलेप किया जा रहा है, जो परमाणु विमान, लैंड बेस्ड डिलिवरी सिस्टम और पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों के पूरक या उनकी जगह लेने की ताकत रखते हैं।
ये रिपोर्ट हंस एम क्रिस्टेंसन और एफएएस के मैट कोर्डा द्वारा तैयार की गई। रिपोर्ट कहती है, ‘भारत फिलहाल आठ अलग-अलग परमाणु सिस्टम का संचालन करता है। इसमें दो विमान, चार लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल, और दो समुद्र-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल हैं। इसके अलावा भारत चार और सिस्टम डेवलेप कर रहा है, जिनमें से ज्यादातर जल्द से जल्द हमले के लिए तैयार हो जाएंगे। अब बीजिंग भारतीय बैलिस्टिक मिसाइलों की श्रेणी में है।’
अनुमान है कि भारत ने लगभग 700 किलोग्राम (प्लस या माइनस 150 किलोग्राम) हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन किया है, जो 138 से 213 परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त है। हालांकि, अभी तक इनसे परमाणु हथियार नहीं बनाए गए हैं।
FAS के अनुसार, भारत के पास अपने लगभग 160 परमाणु हथियार हैं और नई मिसाइलों को चलाने के लिए और ज्यादा की जरूरत होगी। पाकिस्तान के लिए यही आंकड़े 165 हैं। वहीं चीन के पास 350, यूएस के पास 5,428 और रूस के पास 5,977 परमाणु हथियार हैं। भारत के हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का स्रोत मुंबई में भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर में ध्रुव रिएक्टर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कम से कम एक और रिएक्टर बनाकर अपनी प्लूटोनियम उत्पादन क्षमता में विस्तार करने की योजना है।
एफएएस के अनुसार, भारत का सबसे ज्यादा फोकस पाकिस्तान पर रहता है। लेकिन परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण ये बताता है कि भारत भविष्य में चीन के साथ रणनीतिक संबंधों पर अधिक जोर दे रहा है। विशाखापत्तनम से करीब 50 किमी दूर रामबिल्ली गांव में INS वर्षा नाम का एक सुपर सीक्रेट बेस बन रहा है, जिसमें पहाड़ में कई सुरंगें, बड़े पियर और परमाणु पनडुब्बियों के लिए सपोर्ट सुविधाएं हैं।