ताइवान पर कब्जे के लिए चीन ने बनाया प्लान बी
ऑरविल एशिया सोसाइटी में सेंटर ऑन यूएस-चाइना रिलेशंस के निदेशक शेल ने दावा किया है कि चीन ताइवान पर सामने से हमला नहीं करेगा। ऐसे में अमेरिका, जापान या क्वाड को ताइवान मामले में हस्तक्षेप का मौका ही नहीं मिलेगा। ऐसे हालात में ताइवान की राजनीतिक स्वायत्तता खत्म करने के लिए चीन के अभियान में ताइवान जलडमरूमध्य को पार करने वाले हजारों सैनिक शामिल नहीं होंगे। बल्कि, समुद्र में फंसे हुए जहाज और रहस्यमय परिस्थितियों में पानी के नीचे ब्लॉकेज वाला तरीका अपनाएगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये रणनीति चौतरफा युद्ध की तुलना में अधिक संभावित हैं।
ताइवान पर चीन का सैन्य हमला अनिश्चित
स्टिम्सन सेंटर में चीन प्रोग्राम के डायरेक्टर युन सन ने बताया कि ताइवान पर एक पूर्ण सैन्य हमला अनिश्चित है। युद्ध लड़ने के लिए, आपको कम से कम कुछ स्तर पर जीत को लेकर विश्वास की आवश्यकता होती है और चीनियों के पास यही नहीं है। सन ने कहा कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ताइवान में युद्ध के बारे में चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं। कई अनुभवी सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह ऑपरेशन एक हफ्ते का हो सकता है। इससे ताइवान को इतनी चोट पहुंच सकती है, जिससे कि वह घुटनों पर आ जाए और सैन्य कार्रवाई की कोई जरूरत ही नहीं पड़े। ताइवान में भी चीन के इसी रणनीति को लेकर चिंता है।
नाकाबंदी वाला पैंतरा अपनाएगा चीन
ताइवान की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने और गला घोंटने की रणनीति को आम तौर पर "नाकाबंदी" के रूप में वर्णित किया जाता है। लेकिन, यह एक ऐसा शब्द है जो कई अलग-अलग कार्रवाइयों को शामिल कर सकता है। चीनी सेना की प्लानिंग डॉक्यूमेंट्स और डॉक्ट्रिन का अध्ययन करने वाले डिफेंस एक्सपर्ट इयान ईस्टन ने कहा कि चीन लंबी नाकाबंदी कर सकता है। इससे चीन अपनी पूर्व निर्धारित शर्तों पर ताइवान सरकार को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर करने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह अभियान पहले से ही बहुत कम स्तर पर शुरू हो रहा है, और यह समय के साथ और अधिक गहरा होता जा रहा है।
नाकाबंदी की ड्रिल भी कर चुका है चीन
तत्कालीन अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की विवादास्पद ताइवान यात्रा के बाद चीन ने पूरे द्वीप को घेर लिया था। इसके बाद चीनी नौसेना के सैकड़ों जहाजों ने पूरे दक्षिण चीन सागर में ताइवान की नाकाबंदी का अभ्यास भी किया था। बीजिंग की प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में, चीनी सेना ने द्वीप के आसपास के छह क्षेत्रों में लाइव-फायर अभ्यास किया। इसका मकसद प्रभावी रूप से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन को अवरुद्ध करना था। चीन ने उस समय दिखा दिया था कि मौका मिलने पर वह मालवाहक जहाजों के यातायात को रोक सकता है।