चित्रकूट ब्रेकिंग फर्जी पैथोलॉजी के नाम पर चल रही तमाम पैथोलॉजी जिसमें एक सीधा सा उदाहरण है एस एम पैथोलॉ जी को ही तिराहा खोही जो ना तो रजिस्टर्ड है और ना ही उसकी जांच सही है लेकिन यह फर्जीवाड़ा एक बड़े डॉक्टर से मिलकर लगातार किया जा रहा है जो इस को नित्य सहयोग करते हुए उच्च अधिकारियों से वर्तक्रम बनाकर इसका सहयोग कर रहे हैं क्या लोगों की जान से खेलने जनता के हित में है या फिर चंद पैसे के लिए यह सब काम लगातार जारी है आज देखने को मिला है कि एक बड़े अस्पताल की रिपोर्ट में देखने को मिला कि ना तो उसे रिपोर्ट में साइन है और ना ही उसकी कोई विशेष व्यवस्था है या तो डॉक्टर से मिलकर लगातार यह खेल जारी है या तो इस खेल को संचालित करने में बड़े उच्च लेवल अधिकारियों का हाथ है यह भी सोचने का विषय है जांच अधिकारी पंकज गोयल ने कहा कि मैं लगातार कार्रवाई कर रहा हूं लेकिन अपनी भी मजबूरी है क्या करें जनता मारे तो मारे लेकिन पंकज गोयल जैसे लोगों से होते हुए उच्च अधिकारियों तक जाने वाले फंड पर आखिर किसका हक अगर पंकज जांच अधिकारी के द्वारा देखा जाए तो यह फर्जी है लेकिन इस फर्जी पर कार्रवाई कौन करेगा या फिर वहां के जो आसपास के प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं उनके द्वारा इस खेल को संचालित करवा रहे हैं जो लगातार संलिप्त नजर आ रही है क्योंकि उन लोगों को जानकारी भी है कि यह पैथोलॉजी रजिस्टर्ड नहीं है उसके बाद भी उनसे जांच करवा कर जनता को गुमराह कर जनता के भावनाओं से खेलने क्या यह किसी डॉक्टर का कर्तव्य है ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ आखिर होगी कार्रवाई या नहीं या बस पैथोलॉजी फर्जी खुलवाकर ऐसे कृतों को अंजाम देते रहेंगे सोचने का विषय यह भी है कि सी एम ओ या जिला अधिकारी के संज्ञान में होने के बाद भी इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है क्यों इनको जनता से क्या लेना देना जनता मारेगी तो एक फाइनल रिपोर्ट लगा देना उनकी मानसिकता बन गई है और तो और ऐसे फर्जी वाला करने या करवाने में वहां प्रतिष्ठित लोगों का हाथ भी रहता है ऐसा विश्वास सूत्रों से पता चला है लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि यह नीचे से लेकर ऊपर तक अपनी साख जमा हुए हैं इस साख पर सिर्फ चंद्र पैसा जाता है और उसे चंद पैसे में अधिकारी अपनी कलम से लेकर ईमान तक बेच देते हैं एस यम पैथोलॉजी एक जितेंद्र तिवारी नामक व्यक्ति चलता है लेकिन इस व्यक्ति की साख और पकड़ इतनी मजबूत है कि वह अधिकारियों को कहता है कि मेरे जेब में है मैं डॉक्टर को अगर इतनी कमीशन देता हूं कि उनकी मजबूरी है मेरे यहां से जांच करवाना लेकिन अभी तक तो हम लोग सुनते आ रहे हैं कि यह लोग सिर्फ कमीशन के आधार पर जांच लिखते हैं लेकिन अब तो पूर्ण रूप से यह सत्य साबित हो रहा है कि कमीशन के चक्कर में जनता से खिलवाड़ करना डॉक्टर की मनमानी होती जा रही है क्या ऐसे पैथोलॉजी पर कार्रवाई करने के लिए सी एम ओ / मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मुख्यमंत्री की परमिशन लेनी होगी या फिर चंद पैसे में कलम और इनाम बेचकर जनता को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं समस्त अधिकारी