लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा-वृन्दावन के सुनियोजित विकास के लिए संबंधित विकास प्राधिकरणों द्वारा तैयार जीआईएस बेस्ड महायोजना-2031 का अवलोकन किया। वहीं इन प्रमुख धार्मिक स्थलों के विकास के लिए अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि गोरखपुर, वाराणसी और मथुरा-वृन्दावन जैसे धार्मिक नगरों की पहचान जिन मंदिरों अथवा अन्य प्रतिष्ठित भवनों से है, उनकी प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता को बनाये रखने के लिए उनके आसपास उस भवन या मंदिर से अधिक ऊंचाई वाले भवन की स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए। इस व्यवस्था को महायोजना में शामिल करें।
अलग-अलग नगरों की महायोजना पर विचार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नगरों में यातायात प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है। हमें इसके लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। शहर में इलेक्ट्रिक बसों को वरीयता दें। परंपरागत ईंधन वाली बसों को यथासंभव नगर से बाहर ही रखा जाए। मल्टीलेवल पार्किंग के लिए उपयुक्त स्थान निर्धारित करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर बड़े नगर में अपार संभावनाएं हैं। जीआईएस-2023 में हर जनपद में बड़ा निवेश आया है। ऐसे में मथुरा-वृन्दावन, गोरखपुर, वाराणसी की महायोजना में मेडिसिटी, स्पोर्ट्स सिटी, एजुकेशन सिटी, कन्वेशन सेंटर आदि के लिए स्पष्ट क्षेत्र चिन्हित करते हुये व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाए।
● यह सुनिश्चित किया जाए कि हर नगर की महायोजना में 15-16 फीसदी हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित हो। जहां कहीं भी ग्रीन बेल्ट है, वहां किसी भी दशा में नई कॉलोनी न बसने पाए। इस निर्देश को महायोजना में शामिल करें। नई कॉलोनी के विकास के साथ वहां सड़क, सीवर, बिजली, पानी जैसी सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो।
दायरा बढ़ाकर नई संभावनाएं तलाशें प्राधिकरण
●सीएम ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन की बनाने में आवास सेक्टर की बड़ी भूमिका है। स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (सेज़) तथा इंडस्ट्रियल क्षेत्र के समीप नई टाउनशिप का विकास जरूर हो। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश बड़े राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है। प्रदेश के हर शहर को ऐसे अवसर मिलें, इसके लिए अवस्थापना सुविधाओं का विकास आवश्यक है। सभी विकास प्राधिकरणों में अंतराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर विकसित किए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी प्राधिकरण, स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी अवैध बस्तियां या रिहायशी कॉलोनी बसने न पाए। हर कॉलोनी में सभी जरूरी सुविधाएं हों। विकास प्राधिकरणों को नई संभावनाएं तलाशनी होंगी। नगर निगम के बाहर विस्तार लेना होगा। अपना दायरा बढ़ायें। आय के नए स्रोत सृजित करें।
●गोरखपुर को पूरब के गेटवे के रूप में स्थापित करें
गोरखपुर विकास क्षेत्र की वर्तमान जनसंख्या लगभग 14 लाख है और आने वाले 10 वर्षों मे यह जनसंख्या 25 लाख और 2047 तक यह जनसंख्या 50 लाख होने की संभावना है। $1 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य पूरा करने में गोरखपुर के साथ-साथ पूरा पूर्वाचल क्षेत्र एक अहम भूमिका निभा सकता है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमें लघु और मध्यम स्तर के तकनीकी उद्यम को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। गोरखपुर शहर को विकास के सदैव बदलते आयामों से स्थिति स्थापक, समावेशी और एक पूरे क्षेत्र के लिए गेटवे सिटी के रूप मे स्थापित करना है। रामगढ़ ताल की जेट्टी काफी पुरानी है। नई जेट्टी बनाने की आवश्यकता है।
● प्राकृतिक झीलों,जलाशयों का संरक्षण एवं मनोरंजनात्मक गतिविधियों के लिए विकसित किया जाए। लेक फ्रंट, रिवर फ्रंट एवं धार्मिक क्षेत्रों को विकसित किया जाए। गोरखपुर अपने टेराकोटा (माटी कला) उत्पादन के लिए जाना जाता है, महायोजना में इसके विकास के लिए नियोजित प्रयास होना चाहिए। मोबिलिटी में सुधार के लिए गोरखपुर को मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में विकसित करने के प्रयास हों।
●गोवर्धन-वृंदावन परिक्रमा मार्ग को संवारें
हर विकास प्राधिकरण में टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। योग्य, दक्ष युवाओं का चयन करें, उन्हें प्रशिक्षण दें। आईआईटी अथवा राज्य सरकार तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लिया जाना चाहिए।
● वाराणसी के रिंग रोड तक मास्टरप्लान को विस्तार दिया जाए। मथुरा-वृन्दावन में पर्यटक सुविधाओं को और बढ़ाया जाना आवश्यक है। यहां गोवर्धन व वृन्दावन परिक्रमा मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाए।