गिरिडीह। शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने से लेकर जाम से राहत दिलाने को यातायात थाने की स्थापना तीन साल पूर्व की गई। शुरुआती दौर में तो यातायात पुलिस सक्रिय रहते हुए यातायात व्यवस्था सुधारने से लेकर जाम तक से राहत दिलाने में अपनी सेवा देते रहे थे।
हालांकि, हाल के दिनों में इन्हें इस जाम से लेकर यातायात व्यवस्था से मानो कोई मतलब नहीं रह गया है और यह पूरी टीम वाहन जांच में अपना समय व्यतीत कर रही है। नतीजा लोग एक ओर जाम से त्रस्त हैं तो दूसरी ओर वाहन जांच कर यातायात पुलिस मस्त है।
ये हैं यातायात थाने में पदस्थापित
यातायात व्यवस्था दुरूस्त रखने के लिए इंस्पेक्टर समेत 30 पदाधिकारी व जवान फिलहाल पदस्थापित हैं। इनमें एक इंस्पेक्टर अनूप बीपी केरकेट्टा, एक पुलिस अवर निरीक्षक कृष्णकांत यादव, तीन सहायक अवर निरीक्षक, एक जिला बल का जवान व 24 सहायक पुलिस के जवान शामिल हैं।
नहीं हैं वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था
शहर में वाहन पार्किंग के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह सड़क के दोनों किनारे ऑटो और ई रिक्शा से लेकर चारपहिया वाहन तक बेतरतीब तरीके से खड़े रहते हैं।
इस पर यातायात पुलिस का कोई लगाम नहीं है। अंबेडकर चौंक से लेकर जेसी बोस चौक के बीच कोर्ट, सेल टैक्स ऑफिस, डीएसपी आवास उपभोक्ता फोरम के अलावा पूरे रास्ते में सड़क किनारे दोनों ओर वाहन खडे रहते हैं।
वहीं, जेसी बोस गर्ल्स हाई स्कूल की चहारदीवारी से लेकर मधुबन वेजिस तक, आंबेडकर चौक से पचंबा रोड़, सदर अस्पताल के गेट से लेकर मधुबन वेजिस चौक तक के अलावा अन्य स्थानों पर वाहनों का पड़ाव बना हुआ है।
सड़क किनारे फुटपाथियों व वाहनों का कब्जा
शहर की मुख्य पथ पर सड़क के किनारे फुटपाथ पर अवैध रूप से फुटपाथी दुकानदारों का कब्जा है। इसमें फास्टफूड से लेकर मनिहारी का ठेला, फुटवियर की दुकानें, कपड़ा की दुकानें, सब्जी से लेकर अन्य सजा रहता है।
दिन में सब्जी व अन्य दुकानें तो शाम में फास्ट फूड की दुकानों का भरमार रहता है, लेकिन इन्हें उचित स्थान पर आज तक शिफ्ट नहीं कराया गया जा सका है। इनमें अंबेडकर चौक से लेकर जेपी चौक, कचहरी रोड, मकतपुर रोड, कालीबाड़ी चौक से आजाद चौक, बड़ा चौक से गांधी चौक समेत अन्य स्थान शामिल हैं।
अतिक्रमण हटाने के नाम खानापूर्ति
शहर की सड़कों के किनारे फुटपाथ को अतिक्रमण कर दुकानों को सजाने वालो से फुटपाथ को मुक्त कराने को लेकर अभियान तो चलाई जाती है, लेकिन यह अभियान महज खानापूर्ति साबित होती है।
अभियान को नगर निगम, यातायात पुलिस, नगर पुलिस व एसडीएम की ओर से चलाया जाता है और हटाने का निर्देश दिया जाता है लेकिन वह निर्देश ही बनकर रह जाता है ओर अभियान टांय टांय फिस्स हो जाता है।