नई दिल्ली: भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी उत्साहित है। यात्रा के बीच राहुल गांधी को लेकर कुछ अच्छी खबरें भी सामने आती हैं। कुछ दलों की ओर से यह बात कही जाती है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी विपक्षी दलों की अगुवाई कर सकते हैं। अभी लोकसभा चुनाव से पहले 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी है। कौन किसके साथ जाएगा इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि भारत जोड़ो यात्रा से उत्साहित कांग्रेस की ओर से एक संदेश विपक्षी दलों को देने की कोशिश हुई। कुछ दिन पहले पार्टी के महासचिव की ओर से कहा जाता है कि बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र विकल्प उनकी पार्टी है और यह नामुमकिन है कि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 200 सीट पर लड़े। कांग्रेस की ओर से जो बात कही गई उसमें एक बात यह भी है कि त्याग के लिए कांग्रेस ही नहीं है सिर्फ। दूसरे दलों को भी इस बारे में सोचना होगा। कांग्रेस की ओर से जो बात कही गई है उससे पहले कांग्रेस को भी 210 सीटों का जवाब खोजना होगा। 210 सीटें अधिक लेकिन राज्य सिर्फ चार।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बात तो की जाती है लेकिन यह कैसे संभव होगा इसको लेकर कई सवाल हैं। हालांकि इन सब सवालों के बीच यह कहा जाता है कि बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र विकल्प कांग्रेस पार्टी ही है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने पिछले दिनों कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 200 सीट पर लड़े यह कैसे संभव। उन्होंने कहा कि विपक्ष की एकजुटता का मतलब कुछ लेना और कुछ देना है। जयराम रमेश ने कहा कि अब वो जमाना चला गया जब कांग्रेस विपक्षी दलों को सिर्फ दिया करती थी। कांग्रेस महासचिव की ओर से जो बात कही गई है उससे एक बात तो तय है कि यदि विपक्षी दल साथ आते हैं तो नेता कौन होगा इससे पहले सीटों को लेकर भी टकराव देखने को मिल सकता है। सीटों का गणित सुलझाए बगैर कोई राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बने इसकी गुंजाइश काफी कम बची है। कांग्रेस की ओर से जो बात 200 सीटों को लेकर कही जा रही है उससे पहले इन 210 सीटों का भी जवाब उसे ही खोजना पड़ेगा।
क्या है 210 सीटों का गणित, इन चार राज्यों से निकलेगा हल
वर्तमान समय में लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। इन 543 सीटों में से 210 सीटें केवल चार राज्यों से आती हैं। लोकसभा की सबसे अधिक सीटें उत्तर प्रदेश में है। यहां कुल 80 सीटें हैं। इसके बाद महाराष्ट्र जहां 48 सीटें और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल जहां से लोकसभा की 42 सीटें हैं। इसके बाद इस लिस्ट में चौथे पायदान पर है बिहार जहां 40 सीटें हैं। पूर्व के चुनावों में यह देखने को मिला है कि जो भी दल इन राज्यों में बढ़त बनाने में कामयाब हुए उनकी दिल्ली की राह आसान हो गई। बीजेपी की दो बार से शानदार जीत के पीछे भी इन चार राज्यों का काफी योगदान है। अब कांग्रेस को भी इन 210 सीटों का जवाब खोजना होगा और रही बात चुनाव से पहले गठबंधन की तो सीटों को लेकर यहां मामला जरूर अटकेगा। बात सबसे पहले यूपी की-
बिहार: अब बारी बिहार की जहां की जनता सियासी तौर पर काफी जागरूक मानी जाती है। बिहार चौथा राज्य है जहां लोकसभा की सीटें अधिक हैं। यहां कुल 40 सीटें हैं। इस राज्य में भी समीकरण इस बार अलग है। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन था और इस गठबंधन ने शानदार जीत हासिल करते हुए 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। लेकिन इस बार अब आरजेडी-जेडीयू दोनों साथ हैं। इन दोनों के अलावा कांग्रेस भी है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि जेडीयू और आरजेडी के बीच कांग्रेस की यहां कितनी चलती है। हालांकि यह गठबंधन पर ही निर्भर करेगा।