नई दिल्ली : कोरोना और इनफ्लूएंजा, दो अलग-अलग वायरस हैं। इन दिनों दोनों वायरस फैले हुए हैं। एक मरीज कोरोना और इन्फ्लूएंजा, दोनों वायरस से संक्रमित पाया गया है। मरीज एक साथ डबल संक्रमण से पीड़ित है। जांच में मरीज में दोनों वायरस की पहचान हुई है। इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि अभी किसी को बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम हो रहा हो तो वे एक साथ दोनों जांच कराएं। केवल कोविड या केवल इनफ्लूएंजा की जांच कराने पर दूसरे संक्रमण का पता नहीं चलेगा। ऐसी स्थिति में इलाज प्रभावित हो सकता है। कई बार इनफ्लूएंजा भी सीवियर निमोनिया बन जाता है और बीमार व कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए कोरोना अभी भी खतरनाक है। इसलिए, दोनों संक्रमण की जांच जरूर कराएं।
जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
आकाश हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी विभाग के डॉक्टर अक्षय बुद्धराजा ने बताया कि उनके यहां एक मरीज भर्ती है। उसकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। मरीज में कोरोना भी पाया गया है और इनफ्लूएंजा का भी संक्रमण मिला है। यही नहीं, साथ में बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी है। जबकि मरीज को पहले से सिर्फ मामूली डायबिटीज है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इलाज प्रभावित हो सकता है, क्योंकि लक्षण आने पर अक्सर लोग एक जांच कराते हैं। कोई कोविड करा लेता है तो कुछ लोग केवल इनफ्लूएंजा की जांच कराते हैं। अगर किसी एक वायरस की पुष्टि हो गई तो दूसरे की जांच नहीं कराते हैं।
डॉक्टर अक्षय ने कहा कि दिक्कत यह हो सकती है कि डॉक्टर एक संक्रमण का इलाज करेगा और दूसरा संक्रमण बिना इलाज के रहेगा। ऐसे में मरीज के लिए खतरा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इनफ्लूएंजा का हमारे पास इलाज है, उसकी दवा है। अगर समय पर पता चल जाता है, तो इसका इलाज संभव है। कोविड का इलाज तो नहीं है, लेकिन लक्षण के आधार पर उसका इलाज किया जाता है। यानी दोनों संक्रमण में लाइन ऑफ ट्रीटमेंट बहुत मायने रखता है। इसलिए, फिलहाल यह जरूरी हो गया है कि लक्षण वाले मरीज दोनों वायरस की जांच एक साथ कराएं। उन्होंने कहा कि एक ही सैंपल में दोनों वायरस की जांच संभव है।
इस बार इतना क्यों फैल रहा है इनफ्लूएंजा
डॉक्टर अक्षय ने कहा कि इनफ्लूएंजा देश में हर साल आता है, इसलिए इसे सीजनल इनफ्लूएंजा भी कहा जाता है। लेकिन पिछले दो साल में लोगों ने मास्क का इस्तेमाल किया, संक्रमण से बचने के बेहतर उपाय अपनाए। इससे लोगों को इनफ्लूएंजा का नेचुरल इन्फेक्शन नहीं हुआ और इस वजह से उनके शरीर में इनफ्लूएंजा के खिलाफ एंटीबॉडी भी नहीं है। दो साल के अंतराल के बाद इस बार इनफ्लूएंजा के स्ट्रेन में भी बदलाव हो गया है। इस बार यह H3N2 है, इसलिए ज्यादा फैल रहा है। साथ में यह भी देखा जा रहा है कि यह लंबे समय तक लोगों को परेशान कर रहा है। खांसी नहीं जा रही है। कुछ लोगों में इसकी वजह से एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) हो रहा है, जो कई बार खतरनाक हो जाता है।
कुछ दिनों के लिए कोविड गाइडलाइन जरूरी
मणिपाल हॉस्पिटल की इन्फेक्शन एक्सपर्ट डॉक्टर अंकिता वैद्य ने कहा कि हमें वायरस से बचाव के तरीके अपनाने की जरूरत है। लोगों को एक बार फिर इसे अपने रोज के जीवन में फॉलो करना चाहिए। साथ में हर साल डब्ल्यूएचओ इनफ्लूएंजा की वैक्सीन लेने की बात कहता है, खासकर बुजुर्गों के लिए यह जरूरी बताया है। उन्हें यह वैक्सीन लगानी चाहिए। यह इंटरनैशनल गाइडलाइन है। लेकिन हमारे यहां इनफ्लूएंजा को लेकर लोग उतने गंभीर नहीं हैं, जबकि यह भी बीमार और कमजोर इम्युनिटी वाले को परेशान कर सकता है।
एम्स स्टाफ के लिए वर्क प्लेस पर मास्क अनिवार्य
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एम्स ने अपने स्टाफ के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है। नई गाइडलाइन के अनुसार एम्स ने स्टाफ को अपने ऑफिस और वर्क प्लेस पर मास्क पहनने को कहा है। साथ ही कहीं पर भी 5 से ज्यादा लोगों की भीड़ न करने की सलाह दी गई है। खासकर कैंटीन में भीड़ न हो, इसकी हिदायत दी गई है। वहीं, जो लोग बीमार हैं या उनमें कोई लक्षण है, तो उन्हें छुट्टी पर जाने और साथ में कोविड जांच कराने की भी सलाह दी गई है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि एम्स स्टाफ में कई लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं, जिसके बाद यह गाइडलाइन जारी की गई है।
स्कूल अलर्ट, मास्क करने लगे जरूरी
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के कई स्कूल अलर्ट हो चुके हैं। कई स्कूलों ने मास्क पहनने की हिदायत दी है, तो कुछ स्कूलों ने इसे जरूरी कर दिया है। साथ ही कोविड का कोई भी लक्षण दिखने या बीमार होने पर स्कूल ना आने को कहा है। इसके अलावा, एक बार फिर कुछ स्कूलों का सैनिटाइजेशन होने लगा है। हालांकि, दिल्ली पैरंट्स असोसिशन का मानना है कि अभी स्कूलों में कोविड से बचाव की गाइडलाइंस को बड़े स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा है।