विद्यार्थियों के जीवन में सबसे बड़ी खुशी का पल दीक्षा समारोह में पदक और डिग्री लेना होता है। सात साल के लंबे इंतजार के बाद इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का नौवां दीक्षा समारोह 18 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। दीक्षा इसमें सात सत्रों में उत्तीर्ण हो चुके लगभग 12 हजार छात्रों को डिग्री दी जाएगी। पहले 20 जनवरी को समारोह होना था, लेकिन अतिथियों का समय नहीं मिलने के कारण स्थगित कर दिया गया था।
उस समय डिग्री लेने के लिए आठ हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। उनके रजिस्ट्रेशन के लिए दोबारा पोर्टल खोल दिया गया है। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन करेंगे। बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद रहेंगे। दीक्षा भाषण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा देंगे। इन्हें दीक्षा उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया है।
10 अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन
जिन छात्रों को दीक्षा समारोह में डिग्री लेना हो वो वेबसाइट पर 10 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। विवि के जनसंपर्क अधिकरी संजय नैयर ने बताया कि जिन विद्यार्थियों ने 20 जनवरी को होने वाले समारोह के लिए आवेदन किया था, उनसे कन्फर्मेशन मांगा जा रहा है। जो छात्र उस समय आवेदन करने से चूक गए थे, वे आवेदन कर सकते हैं।
बनाएंगे पंडाल
विश्वविद्यालय के पास हाईटेक आडिटोरियम है, लेकिन छात्र अधिक होने के कारण आडिटोरियम में नहीं आएंगे। इसलिए परिसर में पंडाल बनाया जाएगा। छात्रों की संख्या को देखते हुए विवि प्रबंधन ने पहले सिर्फ पदक हासिल करने वाले छात्रों को ही समारोह में शामिल होने की इजाजत दी थी, छात्रों के विरोध के कारण फिर सभी छात्रों को शामिल होने की इजाजत दी है।
रविवि का दीक्षा समारोह मई के दूसरे हफ्ते में
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का 26वां दीक्षा समारोह मई के दूसरे हफ्ते में होगा। विवि ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इससे पहले 2020 में रविवि का दीक्षा समारोह हुआ था। विवि प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है। दीक्षा में गोल्ड मेडल के अलावा पीएचडी और डी-लिट की उपाधि में बांटी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि तीन जनवरी 2022 से 30 मार्च 2023 की बीच जिन्हें पीएचडी या डी-लिट की उपाधि के लिए योग्य पाया गया था, उनके अलावा अन्य छात्रों को भी दीक्षा में डिग्री बांटी जाएगी। पिछली कक्षाओं में प्रथम स्थान हासिल करने वाले छात्रों को गोल्ड मेडल दिए जांएगे। दानदाताओं की तरफ से भी टापरों को गोल्ड मेडल दिए जाते हैं।