पाकुड़। उत्तर प्रदेश की ज्योति मौर्या पिछले दिनों सोशल मीडिया में खूब चर्चा में रही। ज्योति मौर्या की सफलता में उसके पति का अमूल्य योगदान बताया गया, लेकिन सफलता की शिखर पर पहुंच ज्योति ने अपनी राह बदल ली।
इसके विपरीत विलुप्त हो रही आदिम जनजाति समुदाय की महिला रूथ मालतो ने घर की दहलीज लांघ गरीबी से दो-दो हाथ करते हुए न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपनी पूरी कमाई व स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेकर अपने बेरोजगार पति को शादी की साल गिरह पर टोटो भेंट की, जिससे उसके पति आत्मनिर्भर बन सके।
पति के साथ दूसरे प्रदेश में मजदूरी करती थी रूथ
हिरणपुर प्रखंड के डांगापाड़ा पंचायत अंतर्गत शामपुर गांव की रूथ मालतो रहने वाली है। गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं रहने के कारण अपने पति के साथ वह साल के सात-आठ महीना दूसरे प्रदेशों में जाकर मजदूरी किया करती थी। दोनों की कमाई से पेट पालना तो आसान था, लेकिन बच्चों के भविष्य की चिंता रूथ को सता रही थी।
इसी बीच साल 2017 में रूथ झारखंड लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाायटी के तहत गठित आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी, परंतु मजदूरी के लिए बाहर चले जाने के कारण वह समूह में अधिक समय नहीं दे पा रही थी।
हालांकि, कोरोना काल में मजदूरी के लिए बाहर जाना बंद हो गया। इसके बाद रूथ की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। जो भी जमा पूंजी था वह भी कोरोना काल में भोजन पर खर्च हो गया।
बकरीपालन से शुरू किया स्वरोजगार
परदेश जाने का रास्ता बंद होने के बाद भी रूथ हौसला नहीं हारी। अब उसने अपना पूरा ध्यान सखी मंडल पर केंद्रित कर दिया। पुण उजे आजीविकास सखी मंडल के सहयोग से उसने बकरीपालन का काम शुरू किया। रूथ इस काम में इतनी रम गई कि इसके बाद उसे दूसरे काम करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।
पांच साल तक बकरीपालन करने के बाद रूथ अपने पास कुछ जमा पूंजी तैयार कर चुकी थी। अब उसने अपने पति आसनाथ पहाड़िया के स्वरोजगार की चिंता करने लगी।
शादी की सालगिरह पर पति को भेंट किया टोटो
अब तक रूथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी थी। अब उसने पति के लिए सखी मंडल से 80 हजार रुपये का कर्ज लिया और अपने पास की जमा पूंजी से 50 हजार रुपये लगाकर एक टोटो खरीदा। रूथ ने अपने जीवन के खास अवसर अपनी शादी की सालगिरह पर पति को टोटो भेंट किया।
अब रूथ और उसके पति दोनों के काम करने से रूथ के परिवार में खुशहाली लौट आई है। परिवार की मासिक आय 30 हजार के पार पहुंच गई है। अब रूथ की सफलता से प्रभावित होकर गांव की दर्जन भर महिलाओं ने बकरी व सुकर पालन का काम शुरू किया है।
रूथ का जीवन संघर्ष और सफलता की मिशाल है। रूथ ने सखी मंडल के सहयोग से न केवल अपना जीवन संवारा बल्कि अपने बेरोजगार पति को भी रोजगार के लिए टोटो खरीदकर दिया। यह दूसरे ग्रामीण व पहाड़िया महिलाओं के लिए अनुकरणीय है।- प्रवीण कुमार सिंह, डीपीएम, जेएसएलपीएस