नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने समान नागरिक संहिता की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह को एक दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। यूसीसी मामले पर कोर्ट ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकता है, अगर सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे पर फैसला सुना चुका है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने “लिंग तटस्थ” और “धर्म तटस्थ” कानूनों की मांग की थी।
अदालत ने याचिकाओं पर आगे की सुनवाई यह कहते हुए टाल दी कि कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और उपाध्याय को अभी तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका में अपनी प्रार्थनाओं को रिकॉर्ड पर नहीं रखना है।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मामले पर फैसला कर दिया है। अगर यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दायरे में आता है तो हम कुछ नहीं कर सकते।