गांवों में तैनाती होने के बावजूद सरकारी कार्यालयों में सेवा दे रहे ज्यादातर सफ़ाई कर्मचारी*
*अर्दली, ड्राइवर, रसोइया व बाबू की अदा भूमिका कर रहे सफ़ाई कर्माचारी,इनकी मनमानी के आगे बेबस ज़िला पंचायत राज अधिकारी*
*चित्रकूट.* स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां सरकार पूरे देश को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का दावा करती हुई नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर सफाईकर्मी सरकार के दावों की पोल खोलते हुए नजर आ रहे हैं जो गांवों में नियुक्त तो हैं लेकिन गांव में जाने के बजाय जिम्मेदार अधिकारियों की जी हजूरी में लगे रहते हैं l इन जिम्मेदार अधिकारियों की सेवा में कोई सफाईकर्मी अर्दली बना हुआ है तो कोई ड्राइवर बना हुआ है कोई सफाई कर्मी झाड़ू पोंछा का काम कर रहा है तो कोई खाना बनाने व कपड़े धोने का काम कर रहा है और ज्यादातर सफाईकर्मी सरकारी कार्यालयों में बाबू व कर्मचारी बनकर अपनी धौंस जमा रहे हैं लेकिन यह सफाईकर्मी गांवो में साफ़ सफ़ाई करने नहीं जा रहे हैं जिसके कारण गांवों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है l
ज्यादातर सफाई कर्मी एक ही अधिकारी के कार्यालय में कई वर्षो से जमे हुए हैं उनका अन्य जगहों पर स्थानांतरण नहीं किया गया है जिसके कारण यह अधिकारियों के चहेते बने हुए हैं जिन पर जिला पंचायत राज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी कार्यवाही करने से कतराते हैं l
स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन पंचायत राज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शासन के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए कार्य किया जा रहा है l
पंचायती राज विभाग की गाइड लाइन के अनुसार सफाई कर्मियों की तैनाती ग्राम पंचायतों के लिए की गई है व इन सफ़ाई कर्मचारियों को अपने तैनाती ग्राम पंचायतों में ही सेवा देना है लेकिन ज्यादातर सफाई कर्मी गांवों में सेवा देने के बजाय जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालयों में जी हजूरी करते हुए नजर आते हैं l
ज़िला पंचायत राज विभाग का कार्यालय विकास भवन में है उसी विकास भवन के ज्यादातर कार्यालयों में सफाई कर्मी अपनी सेवा देते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन इन सफ़ाई कर्मचारियों को गांवों भेजने से ज़िला पंचायत राज अधिकारी भी घबरा रहे हैं l
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालयों में तैनात यह सफ़ाई कर्मचारी सुविधा शुल्क वसूलने की भूमिका बड़ी ईमानदारी से करते हैं जिसके कारण यह अधिकारियों के चहेते बने हुए हैं जिनको हटाने की हिम्मत ज़िला पंचायत राज अधिकारी भी नहीं कर पा रहे हैं l
सबसे बडी सोचने वाली बात यह है कि जब इन सफ़ाई कर्मचारियों की तैनाती ग्राम पंचायतों के की गई है तो यह सफ़ाई कर्मचारी शासन की किस गाइड लाइन के अनुसार जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालयों में सेवा देते हुए नजर आ रहे हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए वसूली ब्वाय की भूमिका अदा कर रहे हैं और इनका वेतन भी ग्राम पंचायतों के पे रोल पर ही दिया जा रहा है लेकिन इनके ऊपर कार्यवाही करने से जिला पंचायत राज अधिकारी भी कतरा रहे हैं l
अब देखना यह है कि ज़िला प्रशासन स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए इन सफ़ाई कर्मचारियों को इनके तैनाती ग्राम पंचायतों में सेवा देने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का काम करेगा या फ़िर यह सफ़ाई कर्मचारी शासन के निर्देशों की अनदेखी करते व अपनी मनमानी करते हुए ऐसे ही जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालयों में जी हजूरी करते हुए दिखाई देंगे यह एक बड़ा सवाल है l