प्रदेश स्तर पर चल रहा आंदोलन,23 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन।




ब्यूरो बांदा
बांदा- डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन बांदा इकाई ने अपनी 23 सूत्रीय मांगोंo को लेकर प्रदेश स्तर पर चल रहे आंदोलन के तहत जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा। एसोसिएशन ने फार्मासिस्टों के हित में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हुए उनकी त्वरित पूर्ति की मांग की।
फार्मासिस्ट के पदनाम में बदलाव की मांग
ज्ञापन में एसोसिएशन ने मांग की कि फार्मासिस्ट का पदनाम बदलकर “फार्मेसी अधिकारी” किया जाए। उनका तर्क है कि फार्मासिस्ट सिर्फ दवाइयों का वितरण ही नहीं करते, बल्कि कई केंद्रों पर ओपीडी सेवाएं भी प्रदान करते हैं। ऐसे में उनका कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है, जिससे पदनाम में बदलाव जरूरी है।
दवाओं के लिखने की अनुमति
फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने यह भी मांग रखी कि कुछ खास दवाओं को लिखने की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने बताया कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में डॉक्टरों की कमी के चलते फार्मासिस्टों पर ओपीडी का भार होता है। ऐसी स्थिति में मरीजों को त्वरित उपचार देने के लिए फार्मासिस्टों को सीमित दवाएं लिखने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
पद सृजन में संशोधन की जरूरत
ज्ञापन में पदों के सृजन में संशोधन की मांग की गई है। एसोसिएशन का कहना है कि वर्तमान समय में फार्मासिस्टों की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में नए पदों का सृजन और मौजूदा पदों में वृद्धि करना समय की जरूरत है।
मुख्यमंत्री से जल्द कार्रवाई की अपील
एसोसिएशन ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि फार्मासिस्टों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और उनकी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे।
ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल
ज्ञापन सौंपने के दौरान फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष,सचिव और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन फार्मासिस्टों के अधिकारों और उनके बेहतर भविष्य के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार है।
जनप्रतिनिधियों का आश्वासन
जनप्रतिनिधियों ने ज्ञापन प्राप्त करते हुए एसोसिएशन को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा और हर संभव मदद की जाएगी।
फार्मासिस्ट एसोसिएशन की यह मांगें न केवल फार्मासिस्टों के हित में हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस पर कितना त्वरित और सकारात्मक निर्णय लेती है।
