भागलपुर। सृजन घोटाला मामले में दोषी जिला परिषद के पूर्व नाजिर राकेश यादव की बर्खास्तगी के मामले में सोमवार को कोई निर्णय नहीं हो सका। जिला परिषद के सामान्य बोर्ड को इस संबंध में फैसला लेना था, लेकिन बैठक नहीं हो सकी।
जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह उप विकास आयुक्त कुमार अनुराग ने जिला परिषद के पूर्व नाजिर राकेश कुमार यादव की बर्खास्तगी की अनुशंसा करते हुए सामान्य बोर्ड की विशेष बैठक बुलाने को कहा था।
सामान्य बोर्ड की आपात बैठक को लेकर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित 31 सदस्यों को फोन कर सूचना दी गई थी, लेकिन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सन्हौला की नाजनी नाज के अलावा अन्य सदस्य बैठक में उपस्थित नहीं हुए। इस कारण पूर्व नाजिर की बर्खास्तगी के संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका। अब जिला परिषद के सामान्य बोर्ड की बैठक में मामले को रखा जाएगा।
31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होंगे पूर्व नाजिर
जिला परिषद के पूर्व नाजिर राकेश यादव रोकड़ पंजी का संधारण नहीं करने व सृजन महिला विकास सहयोग समिति व बैंक को सहयोग करने के दोषी पाए गए हैं। वे 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस कारण जिला परिषद सामान्य बोर्ड की आपात बैठक बुलाई गई है।
चूंकि राकेश यादव की नियुक्ति की संपुष्टि सामान्य बोर्ड की बैठक में हुई थी, इस कारण किसी भी प्रकार की कार्रवाई का अधिकार सामान्य बोर्ड के माध्यम से होगा। इस बैठक में कम से कम 16 सदस्यों का उपस्थित होना जरूरी है। फलत: तीन सदस्यों की उपस्थिति के कारण बैठक नहीं हो पाई।
अगली बैठक नवंबर में
अगली बैठक नवंबर में होगी। बैठक की तिथि अध्यक्ष द्वारा निर्धारित की जाएगी। जिला परिषद के लगभग 101 करोड़ 70 लाख रुपये बैंक के माध्यम से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में भेजे गए थे।
सृजन घोटाला मामले में अभी तक तीन कर्मचारियों भू-अर्जन विभाग के पूर्व नाजिर राकेश झा, नजारत के पूर्व नाजिर ओम श्रीवास्तव व डीआरडीए के अरुण कुमार को जिलाधिकारी के स्तर से बर्खास्त किया जा चुका है। एक कर्मचारी बेऊर जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है।
राकेश यादव के खिलाफ प्रमाणित हो चुका है आरोप
जिला परिषद की 101 करोड़ से अधिक की राशि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर होने के मामले में पूर्व नाजिर राकेश यादव पर आरोप प्रमाणित हो चुका है। उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही अपर समाहर्ता के यहां चल रही थी।
अपर समाहर्ता ने विभागीय जांच में आरोपों को प्रमाणित करते हुए मंतव्य के साथ जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को संचिका वापस कर दी थी। अगस्त 2017 में सृजन घोटाला उजागर होने के बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
इस मामले में राकेश यादव को गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेजा गया था। वे तीन साल से अधिक समय तक जेल में बंद थे। जेल से निकलने के बाद उन्होंने जिला परिषद में योगदान दिया था। उन्हें निलंबित करते हुए सबौर भेजा गया था। उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी।
जिला परिषद के पूर्व नाजिर पर आरोप सिद्ध हो गया है। बर्खास्तगी की अनुशंसा कर दी गई है। इस पर निर्णय सामान्य बोर्ड को लेनी है। नियम के अनुसार, सेवानिवृत्ति के बाद भी दोषी पर कार्रवाई का प्रावधान है। – कुमार अनुराग, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद