अहमदाबाद। गुजरात के खेड़ा जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों के साथ मारपीट करने वाले चार पुलिसकर्मियों ने अब गुजरात हाईकोर्ट से खास अनुरोध किया है। मामले में दोषी पाए जाने पर पुलिसकर्मियों ने बुधवार को कोर्ट से अपील की कि उन्हें सजा देने के बजाय मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए।
हाईकोर्ट को दिया ये तर्क
पुलिसकर्मियों ने अपील करते हुए कोर्ट को तर्क दिया कि सजा मिलने से उनका करियर प्रभावित होगा। न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी की खंडपीठ ने पुलिसकर्मियों के प्रस्ताव पर शिकायतकर्ताओं की प्रतिक्रिया जानने के लिए मामले को अगले सोमवार को सुनवाई के लिए डाला है।
पिछली सुनवाई के दौरान, अदालत ने डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में किसी की गिरफ्तार से पहले उचित प्रक्रिया का अनुपालन न करने के लिए अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दोषी पाए गए चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।
लोगों को खंभे से बांधकर पीटा
बता दें मामले में चार पुलिसकर्मियों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को खंभे से बांधकर सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे थे। अदालत ने इस पर कहा कि उन्होंने सक्रिय रूप से मारपीट में भाग लिया और पीड़ितों को एक खंभे से बांधकर मारा।
वकील ने यह कहा
खेड़ा पुलिस स्टेशन के तत्कालीन निरीक्षक ए वी परमार, उप निरीक्षक डी बी कुमावर और कांस्टेबल कनकसिंह डाभी और राजू डाभी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रकाश जानी ने कोर्ट से कहा कि पुलिसकर्मियों ने सेवा के पर्याप्त वर्ष पूरे कर लिए हैं और आरोपों का असर उनके करियर पर पड़ेगा।
वकील ने कहा कि पुलिसकर्मियों को अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दंडित करने के बजाय उचित मुआवजा देने का निर्देश दिया जा सकता है, अगर अदालत उचित समझे।
शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आई एच सैयद ने कहा कि वह इस संबंध में शिकायतकर्ताओं से उचित निर्देश लेंगे, जिसके बाद अदालत ने मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
पिछले साल अक्टूबर में नवरात्रि उत्सव के दौरान, मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ ने खेड़ा के उंधेला गांव में एक गरबा नृत्य कार्यक्रम पर कथित तौर पर पथराव किया था, जिसमें कुछ ग्रामीण और पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।