एथेंस: ग्रीस के विदेश मंत्री निकोस डेंडियस ने रविवार को भूकंप प्रभावित तुर्किये की यात्रा की। इस दौरान डेंडियस के साथ तुर्किये में उनके समकक्ष मेवलुत कावुसोगलु भी थे। यह यात्रा दो असहज सहयोगियों के बीच तथाकथित भूकंप कूटनीति के एक नए दौर का हिस्सा है, जिनके संबंध सर्वथा शत्रुतापूर्ण नहीं तो अक्सर ठंडे रहे हैं। 1999 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, तीन साल बाद जब दोनों देशों के बीच ईजियन सागर में दो निर्जन द्वीपों को लेकर लगभग युद्ध छिड़ गया था।
अगस्त 2019 में भी भूकंप पर दोस्त बन गए थे दोनों देश
अगस्त 1999 में तुर्की में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 18,000 लोग मारे गए थे। अगले महीने यूनान की राजधानी एथेंस में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 143 लोग मारे गए। दोनों ही मामलों में दोनों देशों ने एक दूसरे के प्रयासों में सहायता के लिए बचावकर्मियों को भेजा। इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में द्विपक्षीय संबंधों में गर्माहट आने के तौर पर कवर किया गया था।
तुर्की के विदेश मंत्री ने क्या कहा
कावुसोगलु ने अपने एक पत्र का जिक्र किया जो उन्होंने एक निजी नागरिक के रूप में उस समय ‘टाइम’ पत्रिका को भेजा था। कावुसोगलु ने कहा, ”तब मैंने कहा था कि हमें अपने संबंध में सुधार के लिए दूसरे भूकंप का इंतजार नहीं करना चाहिए। तुर्किये के विदेश मंत्री के रूप में मैं अब भी इसी बात को दोहराऊंगा। हमें अपने संबंधों में सुधार के लिए निश्चित रूप से प्रयास करना चाहिए।” डेंडियस ने कहा, ”मैं मेवलुत की बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि हमें अपने रिश्तों में सुधार के लिए प्राकृतिक आपदाओं का इंतजार नहीं करना चाहिए।”
ग्रीस और तुर्की में लंबे समय से है विवाद
दोनों देशों में भूमध्य सागर में मौजूद द्वीपों को लेकर लंबे समय से तनाव है। ये द्वीप तुर्की की मुख्य भूमि से काफी करीब हैं, लेकिन इन पर ग्रीस का कब्जा है। वहीं, तुर्की का दावा है कि ये द्वीप उसके हैं। 2020 में इसी काऱण दोनों देशों युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे। उस समय फ्रांस के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों में तनाव कम हुआ था। उसके बाद भी इन दोनों देशों के लड़ाकू विमान कई मौकों पर आमने-सामने आ चुके हैं।