ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी OIC ने कहा है कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू कराने की कोशिश कर रहा है। संगठन ने कहा कि उसने इसके लिए प्लान भी तैयार कर लिया है।
OIC 57 मुस्लिम देशों का संगठन है। इसके सेक्रेटरी जनरल हिसिन ताहा ने रविवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की थी। भारत ने इस पर सख्त रुख अख्तियार किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 से किसी भी ओपन फोरम पर बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, कई बार मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि दोनों देश बैकडोर डिप्लोमैसी के तहत बातचीत कर रहे हैं।
बातचीत का जरिया खोजने की कोशिश
ताहा
के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दौरे पर भारत ने सख्त नाखुशी जाहिर
की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- OIC को
कश्मीर मामले में दखल का कोई हक नहीं है। कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है और
इसमें किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी हमें बर्दाश्त नहीं है।
दूसरी तरफ, OIC के सेक्रेटरी जनरल हिसिन ताहा ने कहा- सबसे जरूरी बात यह है कि भारत और पाकिस्तान इस मामले पर बातचीत करें। हमने इसका प्लान तैयार किया है। पाकिस्तान सरकार और संगठन के दूसरे दूसरे देशों से इस मसले पर बातचीत की जा रही है। मैं जमीनी हालात देखने के लिए इस इलाके में गया था। यहां लाइन ऑफ कंट्रोल के बारे में पाकिस्तान के मिलिट्री अफसरों से बातचीत की।
57 में से सिर्फ 20 देशों के विदेश मंत्री आए थे
पिछले
साल इस्लामाबाद में OIC की मीटिंग हुई थी। इसमें सिर्फ 20 देशों के फॉरेन
मिनिस्टर्स आए। 10 देशों ने विदेश मंत्रियों के बजाए डेलिगेट्स भेजे। कुछ
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। पाकिस्तान सरकार ने
इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि सभी 57 मुस्लिम देशों के विदेश
मंत्रियों ने इस समिट में शिरकत क्यों नहीं की।
आसान भाषा में जानिए क्या है OIC
1967
की अरब-इजराइल जंग के बाद मई 1971 में OIC की स्थापना हुई। इसका पूरा नाम
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन है। इसका मकसद ही फिलिस्तीन की मदद करना
और उसे इजराइल के साए से मुक्त कराना था। शुरुआत 30 देशों से हुई थी, आज 57
देश इसके सदस्य हैं। इनकी कुल मिलाकर आबादी करीब 180 करोड़ है।
अमूमन हर दौर में सऊदी अरब का ही इस पर दबदबा रहा। इसकी दो वजह हैं। पहली- मुस्लिमों की आस्था के दो सबसे बड़े केंद्र यानी मक्का और मदीना सऊदी में ही हैं। दूसरी- आर्थिक तौर पर कोई दूसरा मुस्लिम देश सऊदी के आसपास भी नहीं फटकता।
OIC की हकीकत
50 साल से ज्यादा हुए OIC को बने हुए। ये
इजराइल को झुकाने और फिलिस्तीन को उसका वाजिब हक दिलाने में कितना कामयाब
रहा? इसे बस एक उदाहरण से समझ लीजिए, तस्वीर साफ हो जाएगी। 1948 में
फिलिस्तीन के दो हिस्से हुए। कुल जमीन का 48% हिस्सा फिलिस्तीन और 44%
इजराइल को मिला। 8% यरुशलम के हिस्से आया और ये UNO की सरपरस्ती में आ गया।
आज फिलिस्तीन सिकुड़कर महज 12% जमीन पर है। इसकी 36% जमीन इजराइल हड़प कर
चुका है। सवाल ये कि क्या करता रहा OIC