हांगझोऊ: ये नया भारत है जनाब…!! ये लाइंस अब सिर्फ फिल्मी नहीं रह गई क्योंकि अपना देश वाकई में बदल रहा है। आगे बढ़ रहा है। बीते महीने हम चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र देश बने थे तो अब हमारे खिलाड़ियों ने गर्व करने का एक और मौका दे दिया है। चीन में खेले जा रहे एशियाई खेलों में कामयाबी की नई इबारत लिखी जा चुकी है। राष्ट्रीय खेल हॉकी में गोल्ड मेडल जीतते ही भारत के 100 पदक पक्के हो गए। इधर हमारा तिरंगा सबसे ऊंचा लहरा रहा था तो उधर ‘अबकी बार सौ पार’ का मंत्र पूरा हो रहा था। मेडल टेली में भारत के पदकों की संख्या भले ही 95 दिख रही हो, लेकिन शनिवार को शतक पूरा होना तय है।
एशियाई खेलों में पहली बार 100 मेडल
चीन के हांगझोऊ में जारी एशियाई खेलों में भारतीय दल ने शुक्रवार को मेंस हॉकी का स्वर्ण, कुश्ती में तीन पदक, सेपकटकरॉ में ऐतिहासिक कांस्य के साथ 95 पदक अपनी झोली में डाल लिए। भारत के कबड्डी (दो), तीरंदाजी (तीन), हॉकी (एक) , बैडमिंटन (एक) और क्रिकेट (एक) में कुल छह पदक पक्के हैं, इनके इवेंट्स होने के बाद भारत शनिवार को पहली बार एशियाई खेलों के इतिहास में सौ पदक पार कर लेगा। आखिरी दिन चार और पहलवान पदक की दौड़ में हैं और पदकों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है ।
पिछली बार कितने मेडल मिले थे?
भारत ने पिछली बार जकार्ता में 70 पदक जीते थे, जिसमें 16 स्वर्ण, 23 रजत और 31 कांस्य थे। इस बार निशानेबाजों ने 22 और एथलेटिक्स में 29 पदक आए हैं, जिससे भारत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सका। भारतीय दल ने कई अप्रत्याशित पदक भी जीते, जिसमें महिला टेबल टेनिस टीम का कांस्य (सुतीर्था मुखर्जी और अहिका मुखर्जी) शामिल है। पारूल चौधरी ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में आखिरी 30 मीटर में कमाल करके स्वर्ण जीत लिया। भालाफेंक में ओलिंपिक और विश्व चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण और किशोर जेना ने रजत पदक जीता। केनोइंग में अर्जुन सिंह और सुनील सिंह ने ऐतिहासिक कांस्य जीता जबकि 35 किमी पैदलचाल में रामबाबू और मंजू रानी को भी कांसा मिला।