बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड का एक लंबा और उथल-पुथल से भरा विवादास्पद रिश्ता रहा है। इस कनेक्शन को ‘सत्या एंड कंपनी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से लेकर ‘डी’ जैसी कल्ट क्लासिक्स और ‘सत्या 2’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में कई बार ऑनस्क्रीन दिखाया गया है। लेकिन इसके दूसरे पक्ष का क्या? पुलिस और उनके कारनामों के बारे में क्या? सौभाग्य से, ऐसी भी फिल्में बनी हैं, जिनमें पुलिस की बहादुरी और गुंडों की आंखमिचोली को भी दिखाया गया है। पुलिस और गुंडो के बीच एक शब्द बहुत फेमस है ‘मुठभेड़’ यानी कि एनकाउंटर और इस शब्द की चर्चा इन दिनों काफी हो रही है। इलाहाबाद में हुई अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद से ही ये टॉपिक सनसनी की तरह फैल रहा है। इससे पहले अतीक के बेटे असद अहमद का एनकाउंटर हुआ, जिसके बाद से देश दहल रहा है। आइए ऐसी ही कुछ फिल्मों से रुबरू कराते हैं, जिनमें पुलिस-गुंडों के बीच एनकाउंटर से जुड़ी खतरनाक कहानियां दिखाई गई हैं।
1. अब तक छप्पन
यह 2004 में आई नाना पाटेकर स्टारर ‘अब तक छप्पन’ एनकाउंटर पर आधारित बॉलीवुड फिल्म है। वास्तव में, अगर आप एनकाउंटर फिल्मों के बारे में एक हिंदी फिल्म को लेकर सवाल करते हैं, तो यह वह फिल्म सबसे पहली होगी, जिसका आप नाम लेंगे। यह फिल्म मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक के जीवन पर आधारित है।
2. एनकाउंटर: द किलिंग
नसीरुद्दीन शाह की सबसे अंडररेटेड फिल्मों में से एक ‘एनकाउंटर: द किलिंग’ है। इस लिस्ट में यह एकमात्र फिल्म भी है, जहां कहानी एक मुठभेड़ से शुरू होती है लेकिन इसके साथ खत्म नहीं होती है।
3. शूटआउट एट लोखंडवाला
ये फिल्म 1991 में हुए मुंबई पुलिस लोखंडवाला शूटआउट की कहानी को दिखाती है। संजय दत्त, सुनील शेट्टी, अमिताभ बच्चन और विवेक ओबेरॉय अभिनीत फिल्म को बहुत याद किया जाता है। खूंखार गैंगस्टर माया डोलास के रूप में विवेक थे।
4. शूटआउट एट वडाला
संजय गुप्ता ने इस प्रीक्वल का निर्देशन किया था, जो मई 2013 में रिलीज़ हुई थी। फिल्म ‘डोंगरी टू दुबई’ किताब पर आधारित है, जो मुंबई पुलिस के किए गए मुठभेड़ में होने वाली घटनाओं का पता लगाती है। ये एक गैंगस्टर मान्या सुर्वे की कहानी है। जॉन अब्राहम ने फिल्म में गैंगस्टर की भूमिका निभाई है, जबकि अनिल कपूर ने पुलिस वाले की भूमिका निभाई, जो अंत में जॉन को गोली मार देता है।
5. रिस्क
‘रिस्क’ फिल्म में रणदीप हुड्डा और विनोद खन्ना दोनों को कास्ट किया गया था। 2007 की फिल्म एक भारी सुरक्षा वाली जेल में एनकाउंटर के साथ खत्म होती है।
6. शागिर्द
लगभग 2011 के आसपास तिग्मांशु धूलिया ने ‘शागिर्द’ के साथ एनकाउंटर फिल्मों के मैदान में आने का फैसला किया। नाना पाटेकर एक बेईमान पुलिस वाले होते हैं, जिसे हत्या करने का शौक है। वह अनुराग कश्यप को भी गोली मार देता है, जो एक भगोड़े अपराधी की भूमिका निभाते हैं।
7. डिपार्टमेंट
हैरानी की बात यह है कि हमारी लिस्ट में राम गोपाल वर्मा की इकलौती फिल्म है, जो उन्होंने अंडरवर्ल्ड पर बनाई है। कहानी एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की है, जो एक गैंगस्टर के इशारे पर फर्जी एनकाउंटर करता है।
8. अब तक छप्पन 2
बॉलीवुड में सभी एनकाउंटर फिल्मों के बाप का सीक्वल ‘अब तक छप्पन 2’ आया था। इस फिल्म के आते ही एनकाउंटर की चर्चा पूरे देश में होने लगी थी।