दुनिया भर के बाजारों में इस समय में काफी उथल-पुथल मची हुई है। मंदी की आशंका के बीच दिग्गज कंपनियां अपने खर्च में कटौती करने को मजबूर हैं। इस बार कर्मचारियों की छंटनी को लेकर अमेरिका की सिलिकॉन वैली से बड़ी खबर आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक (Facebook) की पैरेंट कंपनी मेटा इस हफ्ते कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। रिपोर्ट के अनुसार 9 नवंबर यानी बुधवार को कंपनी अपने हजारों कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर देगी। कंपनी ने पहले ही कर्मचारियों को इस सप्ताह गैर-जरूरी ट्रैवल कैंसिल करने के लिए कह दिया गया था। हालांकि, इस पूरे मसले पर मेटा (Meta) की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। बता दें, सितंबर तिमाही तक मेटा के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कुल मिलाकर 87,000 से अधिक लोग काम कर रहे थे।
तिमाही नतीजों ने दी मार्क जकरबर्ग को टेंशन!
सितंबर तिमाही में मेटा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। साल 2022 की तीसरी तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट घटकर 4.4 अरब डॉलर पर आ गया है। पिछले साल की तुलना में इस बार सितंबर तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट में 52 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। कंपनी के शेयरों भी गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, कंपनी का मार्केट कैप भी घटकर 600 अरब डॉलर हो गया है।
नौकरियों को लेकर क्या सोच रहे हैं मेटा के मुखिया?
अक्टूबर 2022 में जकरबर्ग ने एक बयान में कहा था, ‘साल 2023 में हमारे निवेश का फोकस तेजी से ग्रोथ करने वाले एरिया पर रहेगा। ऐसे में कुछ टीम में लोगों को इजाफा देखने को मिल सकता है। वहीं, ज्यादातर टीम या तो फ्लैट रहेंगी या फिर छंटनी होगी। साल 2023 में या तो हमारी कंपनी का साइज घट जाएगा या फिर कुछ इसी तरह दिखाई देगा।’ इससे साफ है कि कंपनी आने वाले समय में नई ज्वाइनिंग पर बहुत फोकस नहीं कर रही है।
क्या निवेशकों का भरोसा खो रही है मेटा?
कुछ समय पहले मेटा के शेयरहोल्डर Altimeter Capital Management ने मार्क जकरबर्ग को एक ओपन लेटर लिखते हुए कहा था कि कंपनी को कर्मचारियों की छंटनी के जरिए खर्च में कटौती करनी चाहिए। इस लेटर में कहा गया था कि मेटा अपने निवेशकों का भरोसा खो रही है। बता दें, हाल ही में मेटावर्स को बहुत ही धूमधाम के साथ जकरबर्ग ने लॉन्च किया था। लेकिन मार्केट से बहुत अच्छा रिस्पॉस नहीं मिला है।
कर्मचारियों की छंटनी के मामले में मेटा अकेली कंपनी नहीं है। ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट और स्नैप इंक जैसी कंपनियां भी लोगों को कंपनी से बाहर निकाल रही हैं। यह सब बढ़ती महंगाई, यूरोप में एनर्जी संकट जैसे कारणों की वजह से हो रहा है।