चर्चा आज की ब्यूरो
सीतापुर, नैमिष की 84 कोसी परिक्रमा आगामी एक मार्च से नैमिषारण्य से प्रारंभ हो रही है। इसी दिन दोपहर होते-होते परिक्रमार्थी पहले पड़ाव कौरौना पर डेरा डालेंगे लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इस पड़ाव स्थल पर अभी भी दुश्वारियां कम होने का काम नहीं ले रहीं है। इस पड़ाव स्थल पर समस्याओं और अव्यवस्थाओं का मेला लगा है। जिसको लेकर यहां के संत-महात्माओं और परिक्रमार्थियों में घोर निराशा व्याप्त है। परिक्रमा के पहले पड़ाव कौरौना पर परिक्रमार्थियों को सुविधा देने के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में रैन बसेरा बनवाने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी के निर्देश पर रैन बसेरा बनवाने के लिए दो बार प्रस्ताव भी हुआ, लेकिन छह सालों के बाद भी रैन बसेरा नहीं बन सका। रैन बसेरा न बनने से इसके निर्माण के लिए जो धनराशि स्वीकृत हुई थी, वह भी वापस हो गई। हर साल परिक्रमा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को इस पड़ाव पर अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद भी इस रैन बसेरा के निर्माण को लेकर किसी भी जन प्रतिनिधि अथवा अधिकारी ने पहल नहीं की।
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कोरौना पड़ाव स्थल पर पौराणिक यज्ञ वाराह कूप है। इस कूप का वर्णन स्कंद पुराण के श्लोक 103 में आता है। मान्यता है कि इस कूप में भगवान श्रीराम ने यज्ञ किया था। इस कूप में आज भी आग में जले हुए चावल और जौं के दाने मिलते हैं। परिक्रमार्थी इस पौराणिक कूप के पावनजल से आचमन करते हैं, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन बीते कई सालों से अतिक्रमण के चलते इस कूप तक जाने का कोई रास्ता नहीं बचा है। अतिक्रमण के चलते इस बार भी परिक्रमार्थी इस कूप तक नहीं पहुंच सकेंगे। जिससे वह न तो स्पर्श कर सकेंगे और न ही इसके पावन जल से आचमन नहीं कर सकेंगे। बीते सालों की तरह इस साल भी परिक्रमार्थी दूर से ही इस कूप के दर्शन कर सकेंगे। स्वामी अमितानन्द ट्रस्ट द्वारा 25 मार्च 1984 में जीर्णोद्धार कराया गया था। इसके बाद से इस कूप की किसी ने भी सुध नहीं ली है।
इस पड़ाव स्थल की साफ-सफाई के लिए प्रशासन द्वारा 60 सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है। लेकिन मौके पर करीब 25 सफाई कर्मी ही काम करते नजर आ रहे हैं। इनमें से भी कई मजदूर हैं। इसके अलावा पड़ाव स्थल पर बड़ी संख्या में आवारा मवेशियों के झुंड भी रहते हैं। जब भी किसी अधिकारी का दौरा लगता है, तो सफाई कर्मियों द्वारा इन जानवरों को भगा दिया जाता है। कुछ ही देर बाद समस्या जस की तैस हो जाती है।