नई दिल्ली: वर्ष 2022 के बजट (Budget 2022) में केंद्र सरकार ने आयकर कानून (Income Tax Act) में एक नई धारा 194आर की शुरुआत की थी। जिसके तहत "व्यवसाय या पेशे के संबंध में अनुलाभ (Benefit or Perquisite) पर कर की कटौती" का प्रावधान किया गया था। यह प्रावधान एक जुलाई, 2022 से लागू हो गया है। इस नई धारा के अनुसार, कोई व्यक्ति या कारपोरेट इकाई, अपने स्टेकहोल्डर्स को कोई लाभ या अनुलाभ any benefit or perquisite उपलब्ध कराता है तो उसे 10 फीसदी का टीडीएस भरना होगा। इसके दायरे में माइस टूरिज्म (Meetings, Incentives, Conferences and Exhibitions) भी आ गया है। इंडियन डयरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन का कहना है कि इस बजट में कारपोरेट जगत को इस प्रावधान से छूट मिलनी चाहिए।
क्यों परेशान है कारपोरेट जगत
इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (Indian Direct Selling Association) के चेयरमैन रजत बनर्जी का कहना है कि केंद्र सरकार के इस प्रावधान के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय यात्रा या मीटिंग जैसे कार्यक्रम भी आ गए हैं। मीटिंग, इंसेटिव या कांफ्रेंस आदि व्यावसायिक गतिविधियां कारपोरेट जगत में आम बात है। अपने कर्मचारियों या सहयोगियों को प्रोत्साहित या सम्मानित करने के लिए कारपोरेट सेक्टर ऐसे आयोजन करता है। उनका कहना है कि यद्यपि वह इस नए प्रावधान की शुरूआत के उदेश्य या तर्क का समर्थन करते हैं, लेकिन ऐसे सभी कार्यक्रम जहां प्राप्तकर्ता या लाभार्थियों को फ्री पार्टिसिपेशन की सुविधा मिलती है या फिर जहां उनकी यात्रा स्पांसर्ड होती है, वहां टीडीएस प्रावधान में संशोधन होना चाहिए।
विदेशी कांफ्रेंस पर भले लगा दें टैक्स लेकिन देशी को तो छूट मिले
आईडीएसए का कहना है कि कांफ्रेंस या यात्रा का कार्यक्रम डोमेस्टिक और फॉरेन दोनों डेस्टिनेशंस के लिए होता है। सरकार ने पिछले बजट में दोनों पर 10 फीसदी टीडीएस लगा दिया है। आप चाहे देशी डेस्टिनेशन में कांफ्रेंस आयोजित करें या विदेशी डेस्टिनेशंस पर, खर्च लगभग बराबर आता है। कई बार तो विदेशी डेस्टिनेशंस सस्ता पड़ता है। ऐसे में कारपोरेट जगत घरेलू के बजाए विदेशी डेस्टिनेशन को प्राथमिकता देते हैं। यदि सरकार घरेलू डेस्टिनेशंस पर कांफ्रेंस करने पर टीडीएस से छूट दे तो विदेशों में कांफ्रेंस कराने के चलन पर रोक लग सकती है।
कैसे आगे बढ़ेगा टूरिस्म और हॉस्पिटेलिटी सेक्टर
उनका कहना है कि कोरोना महामारी के समय टूरिज्म एवं हॉस्पिटेलिटी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में घरेलू कार्यक्रमों और यात्राओं के आयोजनों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। उनकी राय में धारा 194आर के तहत ऐसी गतिविधियों पर कर कटौती में छूट प्रदान करना एक सार्थक कदम साबित हो सकता है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी सेक्टर को आगे बढ़ाने में कैसे मदद मिलेगी? उनका कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों या यात्राओं को धारा 194आर के तहत एक समान कर कटौती दर के दायरे में रखा गया है। ऐसे में कारपोरेट संस्थानों को विदेश के मुकाबले देश के भीतर ऐसी गतिविधियों के आयोजन में ऐसा कोई विशेष लाभ या प्रोत्साहन हासिल नहीं होता है। अगर ऐसे आयोजनों और यात्राओं के देश में आयोजन पर कर कटौती में छूट मुहैया कराई जाये तो कारपोरेट संस्थान इन्हें आयोजित करने के लिये प्रोत्साहित होंगे। इससे न केवल आतिथ्य क्षेत्र की आमदनी में वृद्धि होगी बल्कि इसका सरकारी खजाने में करों के रूप में योगदान भी बढ़ेगा।