नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप (Adani Group) को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है। क्रेडिटर्स और इनवेस्टर्स का भरोसा बुरी तरह हिला हुआ है। इस कारण ग्रुप के शेयरों में भारी उतारचढ़ाव देखने को मिल रहा है। 24 जनवरी को इस रिपोर्ट के आने के बाद से ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से अधिक घट चुका है। क्रेडिटर्स और इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ाने के लिए अडानी ग्रुप ने अब आक्रामक नीति बनाई है। ग्रुप का जोर अब कमाई बढ़ाने और लीवरेज रेश्यो (leverage ration) कम करने पर है। गौतम अडानी (Gautam Adani) की अगुवाई वाले इस ग्रुप ने अगले दो साल में ऑपरेटिंग अर्निंग्स को 50 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 91,000 करोड़ रुपये पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप पर 2.27 लाख करोड़ रुपये का ककर्ज है। हाल में क्रेडिटर्स के साथ हुई एक मीटिंग में अडानी ग्रुप के अधिकारियों ने लेवरेज रेश्यो कम करने के बारे में एक डिटेल खाका पेश किया। ग्रुप ने इस फाइनेंशियल ईयर के अंत तक लेवरेज रेश्यो को घटाकर 3.1 गुना रखने का लक्ष्य रखा है जो अभी 4.2 गुना है। लेवरेज रेश्यो एक फाइनेंशियल रेश्यो है जो किसी कंपनी के कर्ज की तुलना दूसरे फाइनेंशियल मैट्रिक्स से की जाती है। अडानी ग्रुप को जोर कर्ज कम करने के बजाय लेवरेज रेश्यो घटाने पर है। लीवरेज रेश्यो से फर्म के क्रेडिट जोखिम का आकलन करने में मदद मिलती है।
लीवरेज रेश्यो में आएगी कमी
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप का लीवरेज रेश्यो बहुत ज्यादा है। ज्यादा लीवरेज रेश्यो का मतलब है कि कंपनी ने अपने मौजूदा कैश फ्लो की तुलना में ज्यादा कर्ज लिया है। इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से भी अधिक समय तक गिरावट आई। यही वजह है कि अडानी ग्रुप ने क्रेडिटर्स और इनवेस्टर्स का भरोसा जीतने के लिए व्यापक प्लान बनाया है। एक सूत्र ने कहा कि ग्रुप का कुल कर्ज इस साल के अंत तक 5 से 10 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसके बजाय ग्रुप का जोर 20 से 22 फीसदी एबिटा बढ़ाने पर है। इससे लीवरेज रेश्यो में कमी आएगी।