नई दिल्ली: गौतम अडानी (Gautam Adani) तेजी से अपना कारोबार फैला रहे थे। उनका ग्रुप एक के बाद एक बड़े सौदे कर रहा था। ग्रुप के शेयर रॉकेट की स्पीड से बढ़ रहे थे। अडानी ग्रुप (Adani Group) मार्केट कैप के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा कारोबारी घराना बन गया था। अडानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर पहुंच गए थे। दावा किया जा रहा था कि ग्रुप के पास कैश की कोई कमी नहीं है। जिस पर हाथ रख दें उसका झोली में गिरना तय है। लेकिन 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट ने सब गुड़गोबर कर दिया। ग्रुप का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से कम आ चुका है। अडानी अमीरों की लिस्ट में 24वें नंबर पर फिसल गए हैं। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए गौतम अडानी को कई जतन करने पड़ रहे हैं। ग्रुप का कहना है कि उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं है। इस बीच खबर आई है कि अडानी ग्रुप ने डीबी पावर (DB Power) को खरीदने का प्लान छोड़ दिया है। सवाल यह है कि जब अडानी ग्रुप के पास पैसों की कोई कमी नहीं है तो फिर उसने इस डील से पीछा क्यों छुड़ाया।
क्यों किया ऐसा फैसला
24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में कोहराम मचा है। ग्रुप के मार्केट कैप में 120 अरब डॉलर से अधिक गिरावट आई है। कई कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। ग्रुप को अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का एफपीओ (FPO) वापस लेना पड़ा। शेयरों में भारी बिकवाली के कारण ग्रुप ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अडानी ग्रुप पहले आक्रामक तरीके से अपना विस्तार कर रहा था लेकिन अब इस पर ब्रेक लग गया है।