कहते हैं माता-पिता की डांट भी आशीर्वाद के समान होती है। शुक्रवार को पंजाबी मुंडा शुभमन गिल के पिता की डांट भी उनके लिए आशीर्वाद साबित हुई। 23 साल के युवा बल्लेबाज शुभमन गिल ने टेस्ट करियर में डेब्यू दो साल पहले यानी 26 दिसंबर को मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था। दो साल में उसे 12 टेस्ट की 22 पारियों में बल्लेबाजी का मौका मिला। पर उनके बल्ले से करियर का पहला शतक पिता लखविंद्र सिंह गिल की एक डांट के बाद 16 दिसंबर 2022 को मिला।
गिल ने चट्टोग्राम में बांग्लादेश के खिलाफ दूसरी पारी में टेस्ट करियर का पहला शतक लगया। उन्होंने 110 रन की पारी खेली। पर इस पारी से पहले पहली इनिंग में खराब शॉट खेलकर आउट होने पर पिता की डांट भी पड़ी थी। इसका खुलासा उनके पिता ने खुद भास्कर से किया। शुभमन गिल के अब तक के करियर और उनके संघर्षों को उनके कोच और पिता की जुबानी जानते हैं…
‘पहली पारी में गलत शॉट खेलने पर मैंने डांटा था’
पहली
पारी में शुभमन तैजुल इस्लाम की बॉल पर स्वीप शॉट लगाकर शॉर्ट लेग की दिशा
से सिंगल चुराने के चक्कर में कैच दे बैठे। ऐसे शॉट की टेस्ट में उस समय
जरूरत नहीं थी। मैं उसके गलत शॉट खेलने से नाराज था। जब मेरी शाम को खेल के
बाद उससे फोन पर बात हुई तो मैंने कहा कि तैजुल की गेंद पर उस समय वैसा
शॉट खेलने की क्या जरूरत थी। शुभमन ने मुझसे माफी मांगी और वादा किया
कि दूसरी इनिंग में मौका मिलने पर अच्छे रन बनाएगा। उसने ऐसा ही किया। मैं
उसकी पारी को किसी जरूरी काम में रहने की वजह से देख नहीं पाया। पर मैं
उसकी हाइलाइट्स जरूर देखूंगा।
मैं शुभमन की पारी को हमेशा देखता हूं और उसकी कमियों को बताता भी रहता हूं। जब मैं उसकी पारी नहीं देख पाता तो बाद में हाइलाइट्स देखता हूं और उसकी कमियों को देखता हूं। उस पर उससे बात करता हूं और प्रैक्टिस के दौरान उनपर अमल करने के लिए कहता हूं।
ट्रेनिंग को लेकर युवी के पिता योगराज सिंह की तरह मैं भी सख्त
मैं
भी ट्रेनिंग को लेकर युवी के पिता योगराज सिंह की तरह सख्त हूं। हां,
ट्रेनिंग सेशन के बाद मैं उसका दोस्त होता था। कभी ट्रेनिंग मिस नहीं हुई।
बारिश आए या आंधी या कड़ाके की ठंड। ट्रेनिंग से कभी छुट्टी नहीं दी। दो
सेशन तो किसी भी हाल में करवाता ही था। जब ज्यादा बारिश होती थी तो निकर
पहन कर बाप-बेटे जाते थे। जब गांव में था तो खेतों में ट्रेनिंग करते थे।
मोहाली आने के बाद ग्राउंड में जाकर करते हैं। हम बारिश के समय पुराना
बल्ला लेकर जाते थे। लेकिन प्रैक्टिस मिस नहीं की। प्रैक्टिस केवल उसी शर्त
में नहीं करने की छूट थी, जब वह बहुत ज्यादा बीमार हो। शुभु ने भी कभी
प्रैक्टिस के लिए आना-कानी नहीं की। मैं घर से बाहर होता तो वह किट लेकर
पहले से तैयार रहता था और मेरा इंतजार करता था।
बांग्लादेश जाने से पहले टर्निंग ट्रैक पर कराई थी ट्रेनिंग
बांग्लादेश
जाने से पहले कुछ दिन उसे स्पिन गेंदबाजों के साथ टर्निंग पिच पर ट्रेनिंग
करवाई। जब भी शुभमन को किसी देश में जाना होता है, वहां के पिच के हिसाब
से ही ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार करता हूं। वहां के पिच के अनुसार ही यहां
पर पिच तैयार कर ट्रेनिंग करवाता हूं। कई बार बॉल गीली कर बल्लेबाजी की
प्रैक्टिस करवाता हूं।
जब भी मौका मिलता है शुभमन खुद को साबित करता है
मैं
उसे यही कहता हूं कि तेरा काम रन बनाना है। किसी बात की चिंता नहीं करनी।
तेरा काम परफार्मेंस देना है, बाकी काम सिलेक्टर का है। कब मौका देना और कब
नहीं देना। इसकी चिंता मत करना। तू परफॉर्म करता रहे, बाकी परमात्मा अच्छा
करेगा।
वर्ल्ड कप खेलते देखना चाहता हूं
किसी भी खिलाड़ी का
वर्ल्ड कप खेले बिना क्रिकेट अधूरा है। मैं पिता और गुरु होने के नाते
चाहता हूं कि वह वर्ल्ड कप खेले। पर टीम में होना अपने हाथ में नहीं है।
इसलिए मैंने उसे यही कहा है कि मौका मिले तो उसे भुनाओ और ज्यादा स्ट्राइक
रेट से रन बनाओ। ताकि चयनकर्ता को तुम्हें नजर अंदाज करना मुश्किल हो।
सचिन, युवी और सहवाग के साथ कंपेयर नहीं
जब
वह अच्छा खेलता है तो उसकी तुलना सचिन तेंदुलकर, युवी और सहवाग जैसे
खिलाड़ियों के साथ होती है। मैं बेटे को किसी से कंपेयर नहीं करता, ऐसा करना
जल्दबाजी होगी। पिता होने के नाते कई बार चिंतित रहता हूं कि कहीं घमंड न आ
जाए। इसलिए मैं हमेशा उसे यही कहता हूं कि तुम्हें किसी खिलाड़ी की छवि से
नहीं पहचाना जाना चाहिए। बल्कि तुम अपनी अलग पहचान बनाओ। ये सभी खिलाड़ी
यहां तक संघर्ष करके पहुंचे हैं। आपको अभी बहुत संघर्ष करना है।
खेतों में प्रैक्टिस का बाद मिला फायदा
मैंने
अपने गांव में खेतों में प्रैक्टिस कराई। हमने खेतों में चटाई डालकर
गेंदबाजी की। जिससे उनका फ्रंट फुट काफी बेहतर हुआ। यही नहीं वे काफी बेहतर
पुल शॉट खेलने भी लगे।