साहिबगंज। आप साहिबगंज जिले के किसी प्रखंड में रह रहे हैं और आपको अपना या अपने बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनवाना हो तो आपको अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा क्योंकि जाति प्रमाणपत्र के लिए 1968 या 1985 का खतियान मांगा जाता है।
वैसे खतियान होने के बाद भी आपका काम आसानी से हो जाएगा, यह समझने की भूल मत करिएगा। वैसे खतियान न होने पर ग्राम सभा के माध्यम के जाति प्रमाणित कराने का भी विकल्प है। इसमें गांव के पांच लोगों का आधार कार्ड के साथ हस्ताक्षर जरूरी है। प्रमाणपत्र लेने का तीसरा रास्ता भी है और वह है अंचल कार्यालयों में सक्रिय बिचौलिया।
यह तरीका सबसे आसान है। हालांकि, इसके लिए अपनी पॉकेट ढीली करनी होगी। यह ढाई से तीन हजार रुपये है। कई दिन तक अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने से यह बेहतर है। जिले के प्रत्येक अंचल कार्यालय की करीब यहीं स्थिति है। लोगों का कहना है कि हाल के दिनों में बिचौलियों की कमाई काफी तेजी से बढ़ी है।
हर दिन उमड़ती है भीड़
सदर प्रखंड में हर दिन जाति, निवास, आय व जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वालों की भीड़ उमड़ती है। कर्मचारी मंगलवार और शनिवार को ब्लॉक दिवस पर आफिस में बैठकर कार्यां का निष्पादन करते हैं। अन्य दिन उनसे मुलाकात संभव नहीं है।
सोमवार को यहां मिले किसन प्रसाद के अनिल रविदास ने बताया कि उन्हें बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनवाना था। कई दिन तक परेशान हुए। इसी बीच एक व्यक्ति ने कहा कि दलाल को पकड़ो तो आसानी से बन जाएगा। महादेवगंज के एक दलाल को तीन हजार रुपया दिया तो 15 दिन में जाति प्रमाण पत्र मिल गया।
इसे लेकर आम लोगों की क्या है राय
शहर के कमलटोला में रहनेवाले राकेश कुमार ने बताया कि उसका निवास व आय प्रमाण पत्र बन चुका है। जाति के लिए 15 दिन से सदर प्रखंड दौड़ रहा है। आवेदन को नगर परिषद भेजने की बात कही गई है। वहां से आवेदन कब लौटेगा यह गारंटी नहीं है। खाने को अनाज नहीं है तो टेबल-टेबल पैसे कहां से देंगे?
गोपालपुर दियारा निवासी जय मंगल चौधरी ने बताया कि उनके यहां की जमीन असर्वेक्षित है। जमीन का कागज नहीं है। जाति के लिए जमीन का कागज होना जरूरी है। बिचौलिया को देने के लिए पैसे नहीं है।
अपर समाहर्ता ने इसे लेकर क्या कहा
पिछले माह बड़ी संख्या में अंचलाधिकारियों का तबादला किया गया। इस वजह से विभिन्न जाति, आय, निवास सहित अन्य प्रमाण पत्र निर्गत करने की रफ्तार धीमी हो गई है। प्रमाण पत्र निर्गत करने में डिजिटल सिग्नेचर लगता है। योगदान करने के बाद उसमें कुछ समय लग गया। इस वजह से लंबित आवेदनों की संख्या बढ़ गई होगी। इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया जाएगा, अगर कहीं बिचौलिया सक्रिय है तो उसकी जांच कराई जाएगी।- डॉ. विनय मिश्रा, अपर समाहर्ता