भारत का सोने का इंपोर्ट चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) में 26.7 प्रतिशत बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हो गया है. स्वर्ण इंपोर्ट का देश के चालू खाते के घाटे (CAD) पर असर पड़ता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इंपोर्ट में वृद्धि का कारण मांग का बेहतर होना था.
एक साल पहले की इसी अवधि में सोने का इंपोर्ट 28.4 अरब डॉलर रहा था.
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर, 2023 में इस बहुमूल्य धातु का इंपोर्ट 156.5 प्रतिशत बढ़कर तीन अरब डॉलर का हो गया.
स्विट्जरलैंड सोने के इंपोर्ट का सबसे बड़ा स्रोत है, जहां से इंपोर्ट की हिस्सेदारी लगभग 41 प्रतिशत है. इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (लगभग 13 प्रतिशत) और दक्षिण अफ्रीका (लगभग 10 प्रतिशत) का स्थान है. देश के कुल इंपोर्ट में इस कीमती धातु की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से अधिक की है.
फिलहाल सोने पर 15 प्रतिशत का इंपोर्ट शुल्क लगता है.
सोने के इंपोर्ट में वृद्धि के बावजूद देश का व्यापार घाटा (इंपोर्ट और निर्यात के बीच का अंतर) इस वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अप्रैल-दिसंबर, 2022 के 212.34 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 188.02 अरब डॉलर रह गया.
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है. सोने का इंपोर्ट मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है.
इस अवधि के दौरान रत्न एवं आभूषण निर्यात 16.16 प्रतिशत घटकर 24.3 अरब डॉलर रह गया.
पिछले साल 26 दिसंबर को जारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा तेजी से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक प्रतिशत या 8.3 अरब डॉलर रह गया. इसका मुख्य कारण व्यापारिक व्यापार घाटा कम होना और सेवा निर्यात में वृद्धि होना है.
गौरतलब है कि चालू खाते का घाटा (CAD) तब होता है जब इंपोर्टेड वस्तुओं और सेवाओं और अन्य पेमेंट का मूल्य किसी स्पेशल अवधि में किसी देश द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के एक्सपोर्ट और अन्य प्राप्तियों के मूल्य से अधिक हो जाता है.