नई दिल्ली । जंगल का राज भले ही शेर को कहा जाता है पर सबसे बलशाली और विशाल काया वाले हाथी शाकाहारी होने के बाद भी इंसनों की बर्बरता के सबसे अधिक शिकार होते हैं। अब केंद्र सरकार इसे समाप्त करने का प्रयास करने जा रही हैं। एक अर्से से देखा जा रहा है कि इंसान जानवरों के प्रति काफी बर्बर रूप दिखा रहे हैं। हाथियों के साथ इंसानों की हैवानियत के हमने कुछ समय में काफी समाचार सुने हैं। जैसे-जैसे मानव और हाथियों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है, तब से जंगली जानवरों सहित हाथियों को लेकर सुरक्षा की मांग भी बढ़ी है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में हाथी गलियारों की पहचान करने और उन्हें सुरक्षित करने के लिए एक विशाल परियोजना शुरू की है। हाथियों की आवाजाही को कानूनी सुरक्षा देने के लिए गलियारों को भी अधिसूचित किया जा सकता है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के अनुसार, मंत्रालय ने हाल ही में हाथी गलियारों के सत्यापन अभ्यास की शुरुआत की है और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके देश में हाथी भंडार के भूमि उपयोग और भूमि कवर के मानचित्रण पर भी काम कर रहा है जो संरक्षण में भी सहायता करेगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि हाथी गलियारे वर्षों से बदल रहे हैं। 2005 में 28 गलियारों की पहचान मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी। 2015 में पहचान का दूसरा दौर हुआ, तब से अब तक गलियारों की संख्या बढ़ गई थी। डब्ल्यूटीआई में संरक्षण उप प्रमुख डॉ. संदीप कुमार तिवारी ने कहा मौजूदा गलियारों के विखंडन के कारण गलियारों की संख्या में वृद्धि हुई। हाथी अपनी यात्रा के लिए नए रास्ते खोज रहे थे। पिछले एक दशक में, विखंडन और बिगड़े जानवरों की आवाजाही के कारण सात गलियारे गायब हो गए हैं। उनका अब हाथियों द्वारा उपयोग नहीं किया जा रहा है।
यदि इन्हें शामिल किया जा सकता है, तो अब 108 गलियारे होंगे। मंत्रालय के प्रोजेक्ट हाथी की डॉ प्रज्ञा पांडा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा तैयार की गई हाथी गलियारों की सूची मेल नहीं खाती है। इसलिए हम मंत्रालय और राज्य सूचियों का मिलान करने के लिए ड्राइंग बोर्ड पर वापस जा रहे हैं, और गलियारों की एक व्यापक सूची के साथ सामने आ रहे हैं। डॉ पांडा ने कहा कि इस साल की शुरुआत में, मंत्रालय ने पहली बार प्लान बनाकर ढांचा तैयार किया कि एक हाथी गलियारा क्या है, और उनकी पहचान कैसे की जानी है, इस पर पहली बार मानदंड निर्धारित किए हैं। यह पहचान और बाद में संरक्षण के आसपास के भ्रम को खत्म कर देगा। गलियारों की पहचान, साथ ही इन गलियारों में भूमि उपयोग के पैटर्न की जांच करने से हमें नीतियां बनाने और गलियारों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर कार्रवाई को प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी।