त्रिमूर्ति शिव जयन्ती पर निकाली गयी भव्य शोभायात्रा
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में हुआ आयोजन
ललितपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय वरदानी भवन में 89 वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती (शिवरात्रि) पावन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। नृसिंह मंदिर रामलीला मैदान से शोभायात्रा प्रारंभ हुई। जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए वरदानी भवन सिविल लाइन पहुंची। सुबह यात्रा में शिव-शंकर की सुंदर मनमोहक झांकी सजाई गई तथा बीके भाई-बहनों के हाथ में शिव परमपिता परमात्मा पिता का झंडा तथा स्लोगन की तपतियां लेकर चले और नगर वासियों को शिव जयंती की बधाई। शिव परमात्मा का संदेश दिया स्लोगन तथा नारे लगाए गए। वरदानी भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम चले। जिसमें शिव परमात्मा का सत्य-परिचय तथा सच्ची महाशिवरात्रि नाटक का मंचन विद्यालय के बच्चों के द्वारा किया गया। सेवा केंद्र की संचालिका राजयोगिनी बीके चित्ररेखा दीदी ने सत्य का बोध बताते हुए कहा कि शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? यह परमात्मा शिव के सृष्टि पर अवतरित होने का प्रतीक है। ज्ञान को दिन और अज्ञान को रात कहा गया है। जिस समय भगवान शिव विश्व का कल्याण करने अर्थात् पतित, भ्रष्टाचारी, विकारी, दुखी सृष्टि को सुख, शांति, पवित्रता, खुशी, आनंद, ज्ञान, शक्ति से समर्थ बनाने आते है। तब मानव मात्र ईश्वरीय समझ से समझदार बनकर बुराई से मुख मोड़ लेता है और अच्छाई से मित्रता करता है। इसी का प्रतीक है। रात्रि में अवतरित होना और अंधकार का नाश कर प्रकाशमय संसार बनाना। यह कार्य निराकार शिव जी जिन्हें त्रिमूर्ति भी कहते है। वह कलयुगी मानवीय शरीर में प्रवेश करते हैं और उन्हीं मानव का नाम परिवर्तित होकर प्रजापिता ब्रह्मा पड़ता है। परमपिता शिव ब्रह्मा, विष्णु, शंकर देवताओं के भी रचयिता है। इसी कारण से उन्हें त्रिमूर्ति शिव कहा जाता है। ब्रह्माजी द्वारा दैवी सृष्टि की स्थापना करते है, शंकरजी के द्वारा आसुरी सृष्टि का संहार परिवर्तन करते है और विष्णुजी के द्वारा आने वाली दैवी सृष्टि की पालना कराते है। तभी तो उन्हें परमशक्ति परमात्मा कहते है। तो प्यारे भाई-बहनों शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को जान अपने जीवन को सुखमय और खुशहाल बनाएं। मंच संचालिका राजयोगिनी बीके मायारानी दीदीजी ने सभी को प्रतिज्ञा दिलाते हुए कहा की हम सभी सदा परमात्मा स्नेह में समाते हुए मनजीत जगजीत बनेंगे। तत्पश्चात सभी को प्रसाद ब्रह्माभोग स्वीकार कराया गया। जिसमें बीके किरण दीदी, गीता दीदी, प्रीती दीदी, रूबी दीदी, प्रियंका बहन, निशा बहन, पूजा बहन, शिवानी बहन, रजनी बहन, सुधा बहन, सोना बहन, निक्की बहन, प्रिया बहन, यशिका बहन, बीके विद्यासागर भाई, शहर के गणमान्य डा.श्रीराम साहू, कुंजबिहारी उपाध्याय, ओमप्रकाश गुप्ता, मनोज जोशी, नितिन निरंजन, किशोर भाई, रामस्वरूप साहू, केशव प्रसाद पांडेजी, राधेश्याम ताम्रकार, मनीष दुबे, कैलाश नारायण, लक्ष्मी नारायण साहू एवं अनेक भाई-बहन उपस्थित रहे।





