हमीरपुर ब्यूरो :–
समूचे जनपद में अवैध तम्बाकू मिश्रित गुटखा धडल्ले से बिक रहा है ,लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आँखे मूंदे बैठे हुए हैं।खासकर कस्बा सुमेरपुर इसका हब बना हुआ है।कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गुटखा का अवैध कारोबार धड़ल्ले के साथ चल रहा है। एक या दो मशीनो का लाइसेंस है लेकिन दर्जनों महीने अवैध ढंग से चल रही है सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बैन होने के बावजूद तम्बाकू मिश्रित गुटखा खुलेआम बाजार में बेचे जा रहे है।
कस्बा सुमेरपुर में देखा जाये तो यहाँ एक दर्जन से भी अधिक गुटखा बताने वाली मशीने घड़घड़ा रही है और कई नामो से गुटखा बना रही है। लोगो का कहना है कि गुटखा बनाने के लिये लाइसेंस एक या दो मशीनो का मिलता है लेकिन यहां तो गुटखा व्यवसायी लाइसेंस की आड़ में अलग-अलग स्थानो पर अवैध रूप से मंशीने लगाकर गुटखा बनाकर बेच रहे हैं लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि सम्बन्धित विभाग के अधिकारी ऐसे व्यवसाइयों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर रहे है लोगो ने बताया कि अवैध रूप से चल रही मशीने तभी चल रही है क्योकि ऐसे लोगों की अधिकारियो से सांठ गांठ रहती है। तम्बाकू मिश्रित गुटखा बनाने पर प्रतिबंध होने के बावजूद कस्बा में गुटखा बनाने वाले व्यवसाइयो पर इसका कोई असर नहीं दिखायी पड़ता है। विभिन्न नामो के नाम से बेचा जाने वाला गुटखा अधिकांश तम्बाकू मिक्षित ही बिक रहा है। कुछ लोग दिखाने के किये सुपाड़ी व तम्बाकू के अलग-अलग रैपर तैयार करवाते है जिससे कोई छापा आदि पड़े तो यह दिखा सके कि नियमों के तहत ही काम कर रहे है। कस्बा में कई बार कई अवैध कारोबारियो के यहाँ छापा भी डाले गये और अवैध ढंग से तैयार किया गया माल भी पकड़ा गया लेकिन सुविधा शुल्क के आगे कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। इसीलिये गुटखा का व्यवसाय करने वाले पैसों की धमक से कोर्ट के आदेशो की धज्जिया उड़ा रहे है। कस्बा के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रो में भी गुटखा बनाने की मशीने चल रही है जहाँ ये महीने चल रही है उनके पास तो लाइसेंस भी नही है फिर भी विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से गुटखा का धंधा फलफूल रहा है। नियम चाहे जैसे भी बने लेकिन उनका पालन नहीं हो पाता लोगो का कहना है कि जिस तरह तम्बाकू मिश्रित गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था इसका पालन कराने के लिये यदि अधिकारी सक्रियता के साथ इसे बंद कराने के लिये ठान लेते तो निश्चित तौर पर इसे रोका जा सकता था। लेकिन कमाई के चक्कर में इसे बंद कराने के लिये केवल खाना पूर्ति ही की गयी जिसका असर यह रहा कि तम्बाकू मिश्रित गुटखा आज भी तैयार हो रहा है और खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है। गुटखे के चलन ने युवा,वृद्ध के साथ-साथ बच्चों व महिलाओ को भी अपनी चपेट में ले लिया है जिसका लाभ गुटखा निर्माता उठा रहे है। लत के कारण लोगों को सड़ी गली सुपाड़ी और घटिया किस्म की तम्बाकू जैसा भी गुटखा मिलता है उसी का उपयोग किया जा रहा है भले ही लोगो की सेहत के नाम वह हानिकारक हो कस्बा सुमेरपुर में प्रतिदिन लाखो रुपये का गुटखा तैयार किया जाता है और इसे कस्बा से लेकर अन्य जनपदो में इसकी सप्लाई की जाती है। इस अवैध कारोबार को केवल कमाई का जरिया बना लिया गया है उन्हें लोगो की सेहत से कोई परवाह नहीं है।