भारतीय टीम में बदलाव की लहर है। इस बात से कई दिग्गज क्रिकेटर इत्तेफाक रखते हैं और अधिकतर यह मानते हैं टी-20 फॉर्मेट का कप्तान हार्दिक पंड्या को बनना है। आज बनें, या 4 महीने बाद बनें, लेकिन यह होगा। कप्तान के तौर पर हार्दिक पंड्या की टेस्टिंग भी शुरू हो चुकी है। उन्हें वाइट बॉल फॉर्मेट में रोहित शर्मा का सिपहसालार नियुक्त किया भी जा चुका है। वह केएल राहुल की जगह ऑफिशली अब टीम इंडिया के उपकप्तान हैं। बांग्लादेश के बाद श्रीलंका के खिलाफ T20 सीरीज में उनकी कप्तानी की टेस्टिंग भी हो रही है।
1. धोनी-रोहित की तरह मौके पर कैसे जड़ते हैं चौका
खैर, अब उन बातों पर गौर करते हैं, जो वह रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी से सीख सकते हैं। रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी ही नहीं, विराट कोहली (फिलहाल किसी टीम के कप्तान नहीं हैं) तक कप्तान के तौर पर आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी संभालते हैं। बांग्लादेश के खिलाफ टी-20 में चोटिल होने के बावजूद रोहित शर्मा मैदान पर उतरे और टीम को जीत दिलाते-दिलाते रह गए। उधर धोनी भी यही रणनीति अपनाते हैं। जब भी जरूरत पड़ती है वह मैदान पर होते हैं। इसी वजह से उन्हें फिनिशर कहा जाता है, लेकिन जब आखिरी ओवर डालने का मौका था तो हार्दिक पंड्या पीछे हट गए। उन्होंने अक्षर पटेल को मौका दिया।
2. कप्तान लीडर होता है, इगो के लिए कोई जगह नहीं
हार्दिक पंड्या की सोशल मीडिया पर कई बार भद्द पिट चुकी है। अब अर्शदीप के नोबॉल को ‘अपराध’ कहने के बाद लोग उन्हें उनकी नोबॉल की याद दिला रहे हैं। युवा अर्शदीप ने एशिया कप और टी-20 वर्ल्ड कप में दिखाया कि वह क्या कर सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि नोबॉल नहीं करना चाहिए, लेकिन एक कप्तान के रूप में इस तरह से युवा गेंदबाज को हतोत्साहित करना कितना सही है। हार्दिक के उलट राहुल द्रविड़ ने कहा कि युवा हैं गलती हो जाती है। एमएस धोनी और रोहित शर्मा भी कभी अपने गेंदबाज पर इस तरह से कॉमेंट करते नहीं दिखे।