देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के राजनीतिक संन्यास मामले को लेकर घमासान मचा हुआ है. हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सिर्फ चुनाव से दूरी नहीं बननी चाहिए बल्कि कांग्रेस और राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए. इसके बाद से ही ये मामला उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. उत्तराखंड में हरदा के संन्यास को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बड़ा दावा किया है.




उत्तराखंड की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस आगामी साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई हैं. भाजपा की कोशिश है कि वो लगातार तीसरी बार भी सत्ता पर काबिज रहे. वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस लगातार दो बार सत्ता से दूर रहने के बाद अब आगामी चुनाव में सत्ता में वापसी करना चाह रही है. यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस आगामी चुनाव के मद्देनजर रणनीतियों को धार देने में जुटी है. चुनावी तैयारी के बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के संन्यास को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. जिसकी मुख्य वजह यही है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव न लड़ने की बात कई बार कह चुके हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव न लड़ने के फैसले पर भाजपा तंज कसती दिखाई दे रही है.
हरीश रावत ने ये कहा है कि वो साल 2027 में चुनाव नहीं लड़ेंगे जिस फैसले का भाजपा स्वागत करती है, लेकिन हरीश रावत को कांग्रेस गंभीरता से नहीं लेती है, भाजपा ने हरदा को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं है. ऐसे में हरीश रावत ने कांग्रेस की हार को दो साल पहले ही स्वीकृति दे दी थी, लिहाजा साल 2027 में भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाएगी.
महेंद्र भट्ट, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
साथ ही महेंद्र भट्ट ने हरीश रावत पर तंज कसते हुए कहा कि अच्छा ये होता कि हरीश रावत यह कहते कि वो राजनीति से ही सन्यास ले रहे हैं.
वहीं, इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का जवाब भी आया है. उन्होंने कहा उन्होंने जब-जब विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया, और चुनाव लड़ाया तब कांग्रेस सत्ता में आई है. आज देश में जोड़-तोड़ नहीं बल्कि तोड़ तोड़ कर सरकारें बनाई जा रही हैं. ये आज का दस्तूर है. जिसके चलते उन्होंने निर्णय लिया है कि आगामी 2027 में भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि चुनाव लड़ाएंगे. लोगों को साथ लेकर के चलेंगे, समन्वय पैदा करेंगे. चुनावी कैंपेन को हर स्तर पर लीड करने का काम करेंगे. इस काम को उन्होंने अभी से ही शुरू कर दिया है.
जो लोग उन्हें ये सलाह दे रहे हैं कि हरीश रावत राजनीति से संन्यास लें उनसे कहना चाहते हैं कि उत्तराखंड राज्य में एक बार लोकतांत्रिक सरकार, उत्तराखंड वादी सरकार बन जाए, उत्तराखंड की सोच को आगे बढ़ाने वाली सरकार बन जाए, उत्तराखंड की संस्कृति रक्षक सरकार बन जाये तो हरीश रावत राजनीति से संन्यास लेकर सामाजिक कार्य शुरू करेगा.
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
