नई दिल्ली: सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ेगी या नहीं? बजट से पहले इसकी खूब चर्चा थी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स ऐक्ट के इस सेक्शन के बारे में कोई जिक्र नहीं किया। इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ने की खबरों में इस तरफ किसी का ध्यान भी नहीं गया। वित्त मंत्री ने इस बारे में कुछ नहीं बोला तो इसका एक मतलब है। जो लोग वित्त वर्ष 2023-24 में इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था में बने रहेंगे वे इसके तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इनकम टैक्स के इस सेक्शन के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये का अधिकतम डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।
सेक्शन 80सी की लिमिट अंतिम बार वित्त वर्ष 2014-15 में बढ़ाई गई थी। इसमें तब 50,000 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। इससे 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। यह टैक्स सेविंग में मदद करता है। इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था के तहत इस सेक्शन के तहत निवेश की गई रकम को क्लेम किया जा सकता है। कुछ लोग 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सरकार ने कम टैक्स दरों वाली नई व्यवस्था शुरू की थी। इसका ऐलान वित्त वर्ष 2020-21 में हुआ था। 1 अप्रैल, 2020 से लोगों के विकल्प था कि वे पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनकर डिडक्शन और एक्जेम्पशन को क्लेम करें। वरना, कम टैक्स दर वाली नई व्यस्था को चुनें। हालांकि, इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में डिडक्शन और एक्जेम्पशन का बेनिफिट नहीं लिया जा सकता है।
सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए कुछ खास इंस्ट्रूमेंट में निवेश या खर्च करने की जरूरत होती है। इनका जिक्र इनकम टैक्स कानून में है। कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट इत्यादि उन प्रोडक्टों में शामिल हैं जिनमें 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है। इसी तरह बच्चों की ट्यूशन फीस, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर खर्च के साथ होम लोन के प्रिंसिपल के रिपेमेंट पर भी यह डिडक्शन उपलब्ध है।