जबरन धर्मांतरण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था और उनसे इसे रोकने का प्लान पूछा था। कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा मांगा था। सरकार आज इसे दाखिल कर सकती है।
याचिकाकर्ता की मांग- धर्म परिवर्तन रोकने के लिए अलग से बने कानून
जबरन
धर्म परिवर्तन को लेकर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की है।
याचिका में धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून
बनाए जाने की मांग की गई है। या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता (IPC)
में शामिल करने की अपील की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह
मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर
तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।’
कोर्ट ने केंद्र से कहा- ईमानदारी से कोशिश करें
धर्मांतरण
को बहुत गंभीर मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में
दखल देने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि इस चलन को रोकने के लिए ईमानदारी से
कोशिश करें। कोर्ट ने इस बात की चेतावनी भी दी कि अगर जबरन धर्मांतरण को
नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगीं।
आदिवासी इलाकों में ज्यादा होते हैं ऐसे मामले
केंद्र
की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि धर्म परिवर्तन के ऐसे
मामले आदिवासी इलाकों में ज्यादा देखे जाते हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा
कि अगर ऐसा है तो सरकार क्या कर रही है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र से कहा
कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाने हैं, उन्हें साफ करें। कोर्ट ने यह भी
कहा कि संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, लेकिन जबरन धर्मांतरण कानूनी
नहीं है।
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि 1950 में संविधान सभा में इस बारे में चर्चा की गई थी और सरकार भी इस मसले से वाकिफ है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इस बारे में अपना जवाब दाखिल करेगी।