नयी दिल्ली: इस साल फरवरी में ही अप्रैल जैसी गर्मी पड़ने लगी है। ऐसे में सबसे ज्यादा असर किसी फसल पर पड़ी है तो वह गेहूं है। ऐसे में किसानों को खेत में ज्यादा बाद पानी देना पड़ता है। गेहूं के दाने भी पिलपिले रह जाते हैं। मतलब कि कुल मिला कर गेहूं की उपज (Wheat Yield) कम हो जाने का खतरान। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि घबराने की जरुरत नहीं है। देश के सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की स्थिति सामान्य है।
सरकार की एक समिति ने बताया है
जब फरवरी में तापमान असामान्य रूप से बढ़ने लगी थी, तब केंद्र सरकार ने इसके प्रभाव को जानने के लिए एक समिति का गठन किया था। इसी समिति का कहना है कि गेहूं की फसल की स्थिति सामान्य है। कृषि विभाग द्वारा गठित इस समिति की एक बैठक हाल ही में आईसीएआर- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में आयोजित की गई थी। इसमें भारतीय मौसम विभाग आईएमडी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर, प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साथ केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों भाग लिया था।
फसल की स्थिति सामान्य
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि गेहूं की फसल की स्थिति पर विस्तार से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों द्वारा चर्चा की गई। इन्हीं राज्यों में देश का अधिकतर गेहूं पैदा किया जाता है। यदि रकबे की बात करें तो इन्हीं राज्यों में गेहूं का 85 फीसदी से ज्यादा रकबा है। बयान में कहा गया, ‘‘समिति ने आकलन किया कि आज की तारीख में सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की स्थिति सामान्य है।’’