दुनियाभर में एक के बाद एक शुरू हो रहीं फ्रेंचाइजी बेस्ड टी-20 लीग का असर खिलाड़ियों पर बढ़ता जा रहा है। इंटरनेशनल क्रिकेटर्स की संस्था FICA ने अपने ताजा सर्वे में कहा कि 49% खिलाड़ी टी-20 लीग के लिए अपने देश के क्रिकेट बोर्ड का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने को तैयार हैं।
49% के लिए देश से ऊपर टी-20 लीग
49%
क्रिकेटर्स ने कहा- ‘वे IPL, BBL जैसी फ्रेंचाइजी लीग खेलने के लिए देश का
सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी रिजेक्ट कर सकते हैं। अगर उन्हें इन लीग में अपने
देश से ज्यादा पैसा मिले तो वे लीग खेलेना ही पसंद करेंगे।’
पिछले दिनों न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके चलते उन्हें भारत के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज में टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया। बोल्ट के साथी खिलाड़ी मार्टिन गप्टिल को खराब फॉर्म के चलते चुना नहीं गया। जिसके बाद वह विदेशी लीग खेलने चले गए। इस मानसिकता का असर अन्य स्टार खिलाड़ियों पर दिखा है। इससे कभी खिलाड़ियों को तो कभी उनके देश को नुकसान उठाना पड़ा है। कुछ उदाहरण देखिए…
स्टोक्स ने वनडे, मोईन ने टेस्ट छोड़ा
79%
क्रिकेटर्स ने कहा- ‘साल में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने की भी एक लिमिट होनी
चाहिए।’ पिछले कुछ सालों से बहुत ज्यादा क्रिकेट खेला जा रहा है। क्रिकेट
का वर्कलोड मैनेज करने के लिए इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने
वनडे से रिटायरमेंट ले लिया। उन्हीं के साथी खिलाड़ी मोईन अली ने भी 2021
में टेस्ट खेलना छोड़ दिया।
स्टोक्स ने कहा था- ‘तीनों फॉर्मेट खेलना उनके लिए अब पॉसिबल नहीं है। बहुत ज्यादा क्रिकेट से उनकी बॉडी ने जवाब देना शुरू कर दिया है।’ वहीं, मोईन ने कहा था- ‘वनडे क्रिकेट धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। उन्हें डर है कि कुछ ही सालों में ये फॉर्मेट खत्म न हो जाए।’
आंद्रे रसेल वर्ल्ड कप टीम से बाहर हुए
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बार का टी-20 वर्ल्ड कप चैंपियन वेस्टइंडीज पिछले टी-20 वर्ल्ड कप के
सुपर-12 स्टेज में क्वालिफाई नहीं कर सका था। वजह सामने आई कि वेस्टइंडीज
ने अपनी टीम में ग्लोबल टी-20 स्टार आंद्रे रसेल और सुनील नरेन जैसे
खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया था। बोर्ड का कहना था कि ये खिलाड़ी विदेशी
लीग खेलने के लिए देश को प्राथमिकता नहीं देते। इसीलिए उन्हें नेशनल टीम
में नहीं चुना गया।