अपनी मांगों को लेकर काम बंद हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने अपनी स्ट्राइक फिलहाल स्थगित कर दी है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ चिकित्सक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल स्थगित करने का ऐलान कर दिया।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग बोले-आज भी चर्चा हुई
चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों से कल भी बात हुई थी। आज भी चर्चा हुई है। महासंघ की मांगों को लेकर हाईपावर कमेटी बना रहे हैं। उनपर वह कमेटी समय सीमा में विचार कर रिपोर्ट देगी। जो भी सुझाव महासंघ की ओर से आए हैं उनमें कई विभागों के डॉक्टरों की मांगें हैं। कमेटी में चिकित्सा महासंघ के तीन प्रतिनिधि भी इस कमेटी में शामिल रहेंगे। हमारी सरकार संवाद करने वाली सरकार है। कोरोना के समय में डॉक्टरों ने बहुत अच्छा काम किया था। मंत्री सारंग ने कहा कि मैं चिकित्सा महासंघ को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हड़ताल को खत्म करने का फैसला लिया है। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था में कहीं कोई दिक्कत नहीं आई है। सभी डॉक्टर काम कर रहे हैं। मरीजों का इलाज निरंतर जारी है।
पहली बार केन्द्र के अस्पतालों को छोड़कर सभी सरकारी डॉक्टर थे हड़ताल में शामिल
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल एजुकेशन विभाग दोनों के डॉक्टर्स एक साथ हड़ताल पर आ गए थे। इससे पहले मेडिकल कॉलेज में जब हड़ताल होती थी तो स्वास्थ विभाग के डॉक्टर्स इसे संभाल लेते थे। मगर अपनी मांगे नहीं माने जाने को लेकर शुक्रवार को सुबह से ही मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेशभर के डॉक्टर हड़ताल में शामिल हैं। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सेकेटरी डॉ. अविनाश ठाकुर ने बताया कि प्रदेश भर में करीब 13 हजार से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसमें तहसील के करीब 300 पब्लिक हेल्थ सेंटरों के अलावा 600 गांवों के हेल्थ सेंटर्स के डॉक्टर शामिल हैं। इसमें जूडा, राजपत्रित आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ, संविदा, गैस राहत, सीनियर रेसीडेंट एसो. आदि डॉक्टर्स भी शामिल हैं। अविनाश ठाकुर ने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी, ओपीडी, ऑपरेशन और पोस्टमार्टम सभी कुछ बंद है। सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि हेल्थ डिपार्टमेंट के सभी लोग काम कर रहे हैं, अगर फिर भी हड़ताल होती है तो हमारे पास बैकअप प्लान मौजूद है, सभी डॉक्टर्स कंसीडर कर रहे हैं।
भोपाल के इन अस्पतालों में दिखा असर
- हमीदिया अस्पताल।
- जय प्रकाश अस्पताल ।
- काटजू अस्पताल।
- अन्य गैस राहत अस्पताल।
- तहसील और गांव के पीएचसी।
यह हैं मांगे
- डीएसीपी लागू करना।
- मेडीकल वर्क में अधिकारियों की दखलअंदाजी बंद करना।
- पुरानी पेंशन बहाल करना।
महासंघ के गतिविधियों पर एक नजर
- 27 जनवरी को मध्यप्रदेश शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सक महासंघ की ‘चिकित्सा बचाओ चिकित्सक बचाओ संपर्क यात्रा की शुरुआत की।
- 15 फरवरी को महासंघ ने काली पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध दर्ज किया।
- 17 फरवरी को महासंघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी।
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जबलपुर के 132 डाॅक्टर हड़ताल पर
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और लेडी एल्गिन अस्पताल में सभी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने रिटायर्ड डॉक्टर और आयुष के डॉक्टरों की वैकल्पिक व्यवस्था कर सेवाएं ले रहे हैं। जबलपुर जिले में तकरीबन 132 डॉक्टर पदस्थ है जो कि हड़ताल पर है। डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। तालू के बाहर मरीज और उनके परिजन इलाज का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि राज्य शासन ने ओपीडी में आयुष विभाग और रिटायर्ड डॉक्टरों की तैनाती की है।
छिंदवाड़ा में मरीज हो रहे परेशान
छिंदवाड़ा में शुक्रवार को डॉक्टर्स हड़ताल पर है। डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते जिला अस्पताल में उपचार करवाने आए मरीजों का दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्थि रोग विभाग में उपचार करवाने आए मरीज एक घंटे से ज्यादा से डॉक्टर्स का इंतजार कर रहे है लेकिन अभी तक इलाज नहीं मिल पाया है। वहीं 100 किलोमीटर दूर पांढुरना से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने आए लोगों को भी इस हड़ताल की वजह से काम प्रभावित हुआ है। वहीं जिला अस्पताल ने इमरजेंसी ड्यूटी में डॉक्टर्स वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है।