शैक्षणिक सत्र 2023 के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों पर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है। विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की किताब से ‘महात्मा गांधी की मौत का देश की सांप्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिंदू कट्टरपंथियों को उकसाया और RSS जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध’ सहित कई अंश हटा दिए गए हैं। पिछले साल NCERT ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन के कुछ अंशों को हटाया था। NCERT का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद छात्रों पर बोझ कम करने के मकसद के साथ एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों के बाद कुछ हिस्सों को किताबों से हटाया गया है। इन सब मुद्दों पर भूपेंद्र ने बात की NCERT के निदेशक
जवाब : कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित रही। क्लासरूम टीचिंग से लेकर बच्चों की सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा। ऐसे में यह जरूरी समझा गया कि पाठ्यक्रम का बोझ कुछ कम किया जाए। NCERT ने हर विषय के पाठ्यक्रम को कम करने के मकसद साथ अलग-अलग विशेषज्ञ कमिटी बनाई। इन कमिटी ने जो सिफारिशें कीं, उन्हें लागू किया गया। ऐसी सामग्री को हटाया गया है, जो बच्चों ने पहले कहीं न कहीं पढ़े हैं। कंटेंट रिपीट भी हो रहा था। एक सामान्य प्रक्रिया के तहत उन हिस्सों को हटाया गया है। पाठ्यक्रम को पिछले साल जून में युक्तिसंगत बनाया गया था और इस साल उसमें कोई काट-छांट नहीं की गई है। बिना किसी भेदभाव के जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए बदलाव किए गए हैं।
जवाब : पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने पर काम पिछले साल हुआ था। इस वर्ष नए बदलाव नहीं किए गए हैं। युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया में सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया गया, जिसमें कई अध्यायों में से कई अंशों को हटाया गया। बदलाव की मंजूरी उस समय दी गई थी और अनजाने में चूक के कारण आधिकारिक अधिसूचना में इसका जिक्र नहीं किया जा सका। यह जो विवाद उठ रहा है, यह बेवजह का विवाद है। युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया के तहत ही कुछ हिस्सों को हटाया गया है। अगर हटाया गया कोई अंश बुकलेट में नहीं छप पाया तो यह अनजाने में हुई गलती के कारण हुआ होगा। लेकिन एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि कमिटी की सिफारिशों के आधार पर ही हिस्सों को हटाया गया है।
जवाब : NCERT की विश्वसनीयता और उभरकर आ रही है। पिछले वर्ष बेहद कठिन परिस्थितियों में NCERT ने जिस तरह से छात्रों और अभिभावकों की मदद की है, उससे करोड़ों लोगों का विश्वास इस संस्था पर बढ़ा है। पिछले वर्ष पूरे देश से NCERT को सराहना मिली है और यह संस्था बच्चों के लिए काम कर रही है। मैं कहना चाहूंगा कि NCERT की विश्वसनीयता बढ़ी है, और बढ़ेगी। करोड़ों लोगों ने NCERT द्वारा सिलेबस कम किए जाने के कदम का स्वागत किया है।
जवाब :नई किताबें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के हिसाब से आएंगी। इस विवाद से नई किताबों का कोई लेना-देना नहीं होगा। वे नए ढंग से लिखी जाएंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब 2024 के लिए नई किताबें बनाने का सिलसिला शुरू हो रहा है और नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के आधार पर पहले सिलेबस तैयार होगा और फिर नई किताबें आएंगी।