नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सोमवार को कई दलों का राष्ट्रीय दर्जा हटा दिया तो कुछ का ओहदा बढ़ा दिया। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर किन मानकों पर राजनीतिक दलों को परखा जाता है और राष्ट्रीय दल होने के मायने कितने अलग हैं।
अगले साल देश में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में देश में राष्ट्रीय दल कितने हैं और कौन-कौन हैं, यह काफी अहम हो सकता है। खासकर तब जबकि विपक्ष बीजेपी के पीएम उम्मीदवार के खिलाफ एकजुट होकर एक चेहरा पेश करना चाहे।
क्या कहते हैं नियम?
चुनाव आयोग ने किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा देने के लिए कुछ नियम तय किए हैं। आयोग की शर्तों को पूरा करने के बाद मान्यता प्राप्त दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है। आयोग ने सोमवार को जारी आदेश में बताया कि तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई जैसे दलों से राष्ट्रीय दल का दर्जा दो संसदीय चुनाव और 21 विधानसभा चुनावों में राजनीतिक प्रदर्शन के आधार पर लिया गया। आयोग ने आंध्र प्रदेश में बीआरएस और उत्तर प्रदेश में आरएलडी का क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा भी वापस लिया।
प्रदर्शन के आधार पर दर्जे में सुधार?
आम आदमी पार्टी दिल्ली, पंजाब और गोवा में मान्यता प्राप्त पार्टी है और गुजरात में पार्टी को मिले मत प्रतिशत के बाद आप को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो गया था। यह सब उसके चुनावी प्रदर्शन के कारण हो रहा है क्योंकि दिल्ली में आप को 62 सीटें, पंजाब में 92 सीटें मिलीं। वहीं गोवा में 6.80 फीसदी वोट मिले और दो सीटें भी जीतीं। दिल्ली, पंजाब और गोवा में आप को राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा पहले ही हासिल था।
देश में अब बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम, बीएसपी, आम आदमी पार्टी और एनपीपी ही राष्ट्रीय दर्जे वाले दल हैं। एनपीपी को पूर्वोत्तर के चार राज्यों में ‘प्रादेशिक राजनीतिक दल’ का दर्जा हासिल होने के कारण 2019 में राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा दिया गया। उसके बाद से इस लिस्ट में कोई नया नाम नहीं जुड़ा।
कैसे बनती है राष्ट्रीय पार्टी?
चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय दल के लिए कुछ शर्तें तय की हैं, जिनमें से एक शर्त भी पूरी होने पर राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है। ये हैं :
1. अगर किसी दल को 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
3. यदि कोई पार्टी चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 प्रतिशत वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है।
क्षेत्रीय दल बनने के लिए शर्तें
जो दल अपने राज्य की विधानसभा में कम से कम 3 सीटें या कुल सीटों में 3 फीसदी सीट जीत लें और 6 फीसदी वोट पा लें तो उन्हें क्षेत्रीय दल का दर्जा मिल जाता है। ऐसे दल को राज्य के अंदर चुनाव चिन्ह मिल जाता है। इसके अलावा सामान्य राजनीतिक दल भी होते हैं जो चुनाव लड़ने भर के योग्य होते हैं। देश में इनकी संख्या लगभग तीन हजार के करीब है।
दर्जा मिलने पर सुविधाओं के हकदार
सभी मान्यता प्राप्त दलों को सस्ती जमीन, टैक्स छूट के अलावा सरकार के स्तर पर बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं। राष्ट्रीय दल को दिल्ली में पार्टी के नाम पर कार्यालय भी आवंटित होता है। इसी तरह क्षेत्रीय दलों को उनके राज्य में कार्यालय आवंटित होते हैं। मान्यता प्राप्त दल चुनाव आयोग के बनाए मानक के अनुसार डोनेशन भी ले सकते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय दल चुनाव में स्टार कैंपेनर के रूप में 40 नेताओं की लिस्ट दे सकते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय दलों को चुनाव प्रचार के दौरान टीवी प्रसारण से लेकर बाकी चीजों में दूसरे दलों के मुकाबले अधिक तरजीह दी जाती है।