नई दिल्ली: महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। देश में जल्दी ही सीएनजी (CNG) और पीएनजी (PNG) की कीमत में जल्दी ही 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है। मोदी कैबिनेट ने डोमेस्टिक गैस की कीमतें तय करने के लिए एक नए फॉर्मूले को मंजूरी दी है। इसके तहत घरेलू गैस की कीमत को मौजूदा रेट से 24 परसेंट कम कैप के साथ क्रूड ऑयल के साथ जोड़ा जाएगा। अब तक सरकार हर छह महीने यानी एक अप्रैल और एक अक्टूबर को प्राकृतिक गैस की कीमतें तय करती थीं। ये कीमतें अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस सरप्लस देशों में चल रहे रेट के आधार पर तय किया जाता था। लेकिन अब इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। अब ओएनजीसी (ONGC) और ऑयल इंडिया (Oil India) के लीगैसी फील्ड्स से निकलने वाली गैस की कीमत इंडियन बास्केट के मंथली एवरेज का 10% होगी। गैस के लिए आधार मूल्य यानी फ्लोर प्राइस चार डॉलर प्रति एमएमबीटीयू और अधिकतम मूल्य 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगा। इसकी मौजूदा कीमत 8.57 डॉलर प्रति यूनिट है। डोमेस्टिक गैस को सीएनजी में भी बदला जाता है और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) यानी रसोई गैस के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। नई पॉलिसी शनिवार से लागू होगी।
नए फॉर्मूले के लागू होने के बाद दिल्ली में सीएनजी और पीएनजी की कीमत में प्रति यूनिट छह रुपये की कमी आने की उम्मीद है। दिल्ली में अभी सीएनजी की कीमत 79.56 रुपये प्रति किलो है। नए फॉर्मूले के बाद इसकी कीमत घटकर 73.59 रुपये पर आ सकती है। इसी तरह राजधानी में पीएनजी की कीमत 55 रुपये प्रति एससीएम (स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर) है जो नए फॉर्मूले के बाद 50 रुपये रह सकती है। अगर किसी का दो महीने का पीएनजी का बिल 2,200 रुपए आया है तो यह घटकर 2,000 रुपये रह सकता है। मुंबई के उपभोक्ताओं को सीएनजी पर प्रति यूनिट आठ रुपये की बचत होगी जबकि पीएनजी पर हरेक यूनिट पर उनके पांच रुपये बचेंगे। बेंगलुरु में कस्टमर्स को सीएनजी और पीएनजी अब छह रुपये सस्ती पड़ेगी। इसी तरह दूसरे शहरों के निवासियों को भी फायदा होगा। लेकिन यह फायदा लोकल टैक्स या डोमेस्टिक गैस के शेयर के आधार पर अलग-अलग होगी। गैस की कीमत अब हर महीने नोटिफाई की जाएगी। इसका फायदा पीएनजी, सीएनजी और फर्टिलाइजर प्लांट्स को होगा। इससे आम घरेलू उपभोक्ता से लेकर किसानों और गाड़ी चलाने वालों को लाभ मिलेगा।
कस्टमर और प्रॉड्यूसर दोनों का फायदा
ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैस की कीमतों में काफी तेजी आई है लेकिन सरकार ने भारतीयों उपभोक्ताओं को इसके असर से बचाने से के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नई गाइडलाइंस का मकसद घरेलू गैस उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को स्थिर रखना है। साथ ही इससे गैस उत्पादन करने वाली कंपनियों के हितों का भी ध्यान रखा गया है। यह सीलिंग दो साल के लिए वैलिड होगी और फिर इसमें हर साल 25 परसेंट की बढ़ोतरी की जाएगी। नए फॉर्मूला के मुताबिक ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को लीगैसी फील्ड्स से उत्पादन बढ़ाने पर 20 परसेंट प्रीमियम दिया जाएगा।
यह फॉर्मूला नीलाम किए गए फील्ड्स या डिफिकल्ट फील्ड्स पर लागू नहीं होगा। नीलाम किए गए फील्ड्स के लिए पहले से ही प्राइसिंग और मार्केटिंग को लेकर पूरी आजादी दी गई है। डिफिकल्ट फील्ड्स के लिए 2016 में एक अलग प्राइसिंग व्यवस्था बनाई गई थी। नए फॉर्मूला में कीर्ति पारिख पैनल की सिफारिशों को शामिल किया गया है। इस पैनल को लीगैसी फील्ड्स की प्राइसिंग पॉलिसी की समीक्षा करने का काम दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गैस की कीमत पिछले दो साल में 70 से 80 फीसदी बढ़ी है। इस कारण देश में सीएनजी और पीएनजी की कीमत में काफी तेजी आई है।
डोमेस्टिक गैस से पूरी होती है आधी डिमांड
लीगैसी फील्ड्स का मतलब ऐसे क्षेत्रों से है जो 1997-98 में न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी आने से पहले ही ओेएनजीसी और ऑयल इंडिया को दे दिए गए थे। इस पॉलिसी से गैस फील्ड्स की नीलामी का रास्ता साफ हुआ था। लीगैसी फील्ड्स से निकलने वाली गैस को एपीएम गैस (administered pricing mechanism) कहा जाता है। इसे सरकार अलॉट करती है। देश की कुल गैस डिमांड का 50% डोमेस्टिक गैस से पूरी होती है। बाकी डिमांड जहाजों के जरिए आयात की जाने वाली एलएनजी (LNG) के जरिए पूरी होती है।