इस्लामाबाद: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को साफ किया कि अगर वह फिर से प्रधानमंत्री चुने जाते हैं तो, सेना प्रमुख को पद से नहीं हटाएंगे। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के अंदर बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में कानून नाम की कोई चीज नहीं है। देश को तो सिर्फ एक व्यक्ति चला रहा है और वह सेना प्रमुख (जनरल असीम मुनीर) हैं। इमरान खान को एक दिन पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट से चार मामलों में गिरफ्तारी से राहत मिली है। इसके बाद देर रात वे इस्लामाबाद से लाहौर के जमान पार्क वाले घर पहुंचे। इस दौरान इमरान खान की एक झलक पाने के लिए उनके हजारों समर्थकों का हूजुम उमड़ पड़ा था।
सेना प्रमुख को पद से नहीं हटाउंगा-इमरान
इमरान बोले- सेना से दोस्ती सबसे बड़ी गलती
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 2018 के आम चुनावों में सत्ता में आने के लिए सेना का समर्थन मिलने का कोई अफसोस है। इस पर इमरान खान ने साफ तौर पर कहा कि "मेरी पार्टी को कभी भी सेना के जरिए सत्ता में नहीं लाया गया था।" 2018 में सत्ता में आने के बाद सैन्य नेतृत्व के साथ अपने घनिष्ठ संबंध के बारे में उन्होंने स्वीकार किया कि यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी। इमरान ने कहा कि “हां, मैंने गलती की क्योंकि मैंने तत्कालीन सेना प्रमुख (कमर जावेद बाजवा) पर भरोसा किया था। यहां हमने जो रियायत दी वह देश के उत्थान और विकास के लिए थी, लेकिन दिन के अंत में उन्होंने [बाजवा] मेरी पीठ में छुरा घोंप दिया क्योंकि वह एक और विस्तार चाहते थे।
अपनी हत्या के प्रयास का आरोप लगाया
उन्होंने कहा कि सेना में लोकतंत्र नहीं है और देश में अभी जो हो रहा है उससे सेना बदनाम हो रही है। इमरान खान ने कहा कि वह केवल वजीराबाद में अपनी हत्या के प्रयास की एक स्वतंत्र जांच चाहते थे, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने सवाल पूछा कि "इस तरह की हाई-प्रोफाइल जांच को रोकने की शक्ति किसके पास है?" उन्होंने कहा, "मैं वजीराबाद में एक हत्या के प्रयास से बच गया और फिर मुझे संघीय न्यायिक परिसर में खत्म करने का प्रयास किया गया और अगर मैं अपनी गाड़ी से बाहर आता, तो मुझे मार दिया जाता।"