पीटीआई, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार वन रैंक वन पेंशन (OROP) के बकाये का भुगतान करने के लिए बाध्य है। बता दें कोर्ट ने 2022 में इसके लिए आदेश दिया था। कोर्ट ने केंद्र को 2019-2022 के लिए अगले साल 28 फरवरी तक 28,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि देने को कहा। कोर्ट ने केंद्र की पिछली चिट्ठी से नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रहित में केंद्र के किश्तों में बकाया चुकाने से सहमत है।
पीठ ने निर्देश दिया कि छह लाख पेंशनभोगी परिवार और वीरता पदक विजेताओं को 30 अप्रैल 2023 तक बकाये का भुगतान किया जाए। सत्तर वर्ष और उससे अधिक उम्र के रिटायर सैन्य कर्मियों को इस साल 30 जून तक एक या उससे अधिक किस्तों में भुगतान किया जाए। बाकी के पेंशनभोगियों 28 फरवरी 2024 तक तीन बराबर किस्तों भुगतान किया जाए। पीठ ने यह साफ किया कि भुगतान पूर्व सैन्य कर्मियों की पेंशन को समान करने की प्रक्रिया पर असर नहीं डालेगा जो 2024 में किया जाना है। वहीं पीठ ने OROP के भुगतान पर केंद्र के सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है। यह निष्पक्ष न्याय की प्रक्रिया के विपरीत है।
सीलबंद लिफाफे पर कोर्ट नाराज़
सुनवाई शुरू होने पर शीर्ष अदालत ने OROP के बकाये के भुगतान पर केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘हमें सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है। यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है।’ चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए। यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है। इसमें गोपनीय क्या हो सकता है।’