सूरज मिश्रा ब्यूरो उन्नाव
जनपद उन्नाव के साकेत धाम रामलीला परिसर में चल रही चौथे कथा के शुभ अवसर पर हास्य कलाकार श्री राजीव निगम जी और कुरील समाज के नेता श्री अनिल सिंह जी ने महाराज जी का स्वागत किया और व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया ।
राजीव निगम जी और अनिल सिंह जी ने अपने विचार कथा पांडाल के समक्ष प्रस्तुत करते हुए पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में होने वाली आगामी “16 नवंबर के सनातन धर्म संसद कार्यक्रम में सभी सनातनियों से भाग लेने का आह्वान भी किया।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम सनातनी एकता को दर्शाएगा और देशभर से आए भक्तों को एकत्रित होकर धर्म के प्रति अपनी आस्था और समर्पण प्रदर्शित करने का अवसर देगा।
आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को धर्म, भक्ति और जीवन के गहरे अर्थों को समझाते हुए महत्वपूर्ण संदेश दिए। महाराज जी ने कहा, “वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड बनकर रहेगा,” यह बताते हुए कि धर्म के संरक्षण और सनातन धर्म की पहचान को सशक्त करने के लिए संगठित प्रयास आवश्यक हैं।
महाराज जी ने बताया कि मानव का अहंकार उसके ईश्वर से दूरी का कारण बनता है। उन्होंने भक्तों को यह सिखाया कि भक्ति में विनम्रता और समर्पण होना चाहिए, क्योंकि भगवान केवल सच्चे और निःस्वार्थ हृदय से की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हैं।
साथ ही देवउठनी एकादशी के महत्व पर को बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग-निद्रा से जागते हैं और इसे धर्म और सच्चाई के जागरण का पर्व माना जाता है। यह एक ऐसा पवित्र दिन है जब शुभ कार्यों को आरंभ करने का विशेष महत्व है।
कथा के दौरान महाराज जी ने संत तुलसीदास जी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा, “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तैसी।” इसका अभिप्राय है कि व्यक्ति का भाव ही उसकी भगवान के प्रति दृष्टि और अनुभव को निर्धारित करता है। ठाकुर जी ने समझाया कि जिस भाव और श्रद्धा से हम भगवान का स्मरण करते हैं, उसी प्रकार का अनुभव हमें प्राप्त होता है। यही भाव भक्ति की गहराई को प्रकट करता है।