नई दिल्ली: डेट, गोल्ड और फॉरेन इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म गेन (long-term gains) पर मिलने वाले इंडेक्सेशन बेनिफिट (indexation benefit) खत्म होने जा रहा है। डेट फंड (debt fund) में निवेश को कम से कम तीन साल तक बनाए रखने पर इंडेक्सेशन लाभ मिलता है। लेकिन एक अप्रैल से यह व्यवस्था खत्म होने जा रही है। मगर निवेशकों के पास इसका फायदा उठाने के लिए कुछ दिन हैं। अगर आप नए कानून के लागू होने से पहले निवेश करते हैं तो आपको मौजूदा टेक्स बेनिफिट्स का लाभ मिलेगा। संशोधित कानून में साफ कहा गया है कि नया टैक्स उन म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर लागू होगा जो एक अप्रैल, 2023 या उसके बाद खरीदे जाएंगे। अगर कोई 31 मार्च या उससे पहले डेट फंड्स खरीदता है तो उसे इस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलेगा। अगर आप डेट, गोल्ड या ग्लोबल फंड्स में निवेश करना चाहते हैं तो 31 मार्च से पहले यह काम कर लें। इससे आपको इंडेक्सेशन और लोअर टैक्स रेट का फायदा उठाना है, तो आज ही यह काम कर लें।
क्या बदल गया है
अभी तीन साल से कम समय के लिए किए गए निवेश पर शॉर्ट टर्म गेन को निवेशक की इनकम में जोड़ा जाता है और इस पर नॉर्मल रेट से टैक्स लगता है। अगर निवेश की अवधि तीन साल से ज्यादा होती है तो इस पर होने वाली कमाई को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में शामिल किया जाता है और इस पर इनडेक्शन के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है। यह इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ आता है जो होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई के हिसाब से तय होता है। इंडेक्सेशन बेनिफिट आपके टैक्स को कम कर देता है। अगर महंगाई बहुत ज्यादा है तो इनडेक्शन बेनिफिट से आपका टैक्स बहुत कम हो जाता है। लेकिन एक अप्रैल से यह व्यवस्था बदल जाएगी। शॉर्ट टर्म गेन की तरह लॉन्ग टर्म गेन को भी इनवेस्टर्स की इनकम में शामिल किया जाएगा और इस पर नॉर्मल स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
क्या नहीं बदला
नए नियम ने डेट फंड्स की चमक को कुछ हद तक फीका कर दिया है लेकिन अब भी फिक्स्ड डिपॉजिट्स की तुलना में इसमें कई फायदे हैं। पहला फायदा यह है कि इन फंड्स से मिलने वाले गेन से दूसरे इनवेस्टमेंट्स पर होने वाले शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म नुकसान की भरपाई की जा सकती है। यानी अगर आपको स्टॉक्स या गोल्ड पर नुकसान हुआ है तो आप उसे डेट फंड्स से हुए फायदे के अगेंस्ट एडजस्ट कर सकते हैं। साथ ही डेट फंड्स में कोई टीडीएस नहीं है। अगर आपकी सालाना इंटरेस्ट इनकम 40,000 रुपये के ऊपर जाती है तो बैंक 10 परसेंट टीडीएस काट लेता है। अगर आप पर टैक्स देनदारी नहीं बनती है तो आपको टीडीएस से बचने के लिए फॉर्म 15एच या 15जी देना होगा। साथ ही डेट फंड्स आंशिक विदड्रॉ की भी सुविधा देते हैं। लेकिन एफडी में ऐसी सुविधा नहीं है।