हमीरपुर :– नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ शेरावाली की आराधना के बाद पंडालों में रखी गई प्रतिमाओं का शनिवार के दिन नदियों किनारे बनाए गए गड्डों और पोखरों में नम आँखों से विसर्जन कर विदाई की गई।सरीला तहसील क्षेत्र के चंडौत गांव मैं शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन शनिवार को दुर्गा प्रतिमा व जोत-जवारा का विसर्जन किया गया। भक्तों ने मां दुर्गा को नम आंखों से विदाई दी। भक्तों ने मां अम्बे की शोभा यात्रा गांव में स्थित प्राचीन शीतला माता के मंदिर से प्रारंभ कर गांव भ्रमण कराते हुए प्रतिमा को बेतवा नदी किनारे बने गढ्ढे में विसर्जित किया गया। गांव के विभिन्न स्थानों से मां दुर्गा की विसर्जन शोभायात्रा के दौरान जगह-जगह अबीर गुलाल उड़ाते व डीजे की धुन में देवी गीतों के बीच थिरकते श्रद्धालु लगातार आगे बढ़ते रहे, महिलाएं सिर पर जोत जवारा लेकर कतारबद्ध चल रही थी। भक्त मां का जसगान करते हुए झूमते हुए चल रहे थे। शरीर के विभिन्न अंगों में सांग बना लेने वाले भक्त भी आकर्षण का केंद्र रहे। गांव के प्रमुख पथ से होते हुए विसर्जन शोभायात्रा बेतवा नदी तक पहुंची जहां पूजा अर्चना के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को नदी किनारे बने गढ्ढे मैं विसर्जन किया गया। मां दुर्गा की विदाई देखने के लिए गांव की सड़कों पर श्रद्धालु उमड़ पड़े थे। जय-अंबे, जय-जगदम्बे के जयकारों से गांव की सड़कें गूंजती रही।वहीं जिला मुख्यालय में भी बेतवा व यमुना नदियों के किनारे विसर्जन के लिए पोखर नुमा गड्ढ़े बनाए गए थे और उन्हीं में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया जिससे कि नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सके।वहीं मुख्यालय की चौरादेवी मंदिर को भव्यता से सजाया गया जहाँ हर साल मेला भी लगाया जाता है।सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिस बल भी मौके पर मौजूद रहा ताकि सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रहे।मां दुर्गा की विदाई के साथ ही नवरात्र महोत्सव का समापन हो गया।