प्रदेश में चुनावी साल में डेवलपमेंट और सुविधाओं को लेकर सरकार कई निर्णय ले रही है। अब प्रदेश के सभी 16 नगर निगमों के बदहाल ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन तकनीक पर अमल किया जाएगा। यह काम भी चरणबद्ध तरीके से होगा। इस तकनीक से एक निश्चित दूरी तक रेड सिग्नल से निजात मिलती है। लिहाजा व्यवस्तम समय में भी ट्रैफिक जाम जैसे हालात नहीं बनते।
दरअसल, एमपी में सबसे पहले इस तकनीक के अमल के लिए भोपाल को चुना गया था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन को लागू करने का प्लान तैयार किया। लेकिन, कई सर्वे के बाद भी सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन की सुविधा राजधानी को नहीं मिल सकी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में सिंक्रोनाइजेशन के लिए काम शुरू हो चुका है। पहले चरण में जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, रीवा और सागर के सिग्नल सिंक्रोनाइज होंगे।
ऐसे समझे सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन
एडवांस अर्बन ट्रैफिक मैनेजमेंट का हिस्सा सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक होता है। सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन भी दो तरीके से किया जाता है। पहला, एक निश्चित समय में तय दूरी तक रूट को रेड सिग्नल फ्री कर दिया जाता है। यह टाइमर पर आधारित होता है। लिहाजा पीक अवर्स में भी यातायात प्रभावित नहीं होता। दूसरी तकनीक में ट्रैफिक की निगरानी के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरों का उपयोग होता है। जिन व्यस्त रूट पर ट्रैफिक लोड बढ़ता है। उसे सिंक्रोनाइजेशन तकनीक से रन कर दिया जाता है। यह एक प्रकार का ट्रैफिक प्रोग्रामिंग है।
इसलिए जरूरी है सिंक्रोनाइजेशन
नगरीय प्रशासन के आंकड़े बताते हैं कि एमपी के 15 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों का विस्तार तेजी से हो रहा है। लिहाजा वाहनों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। दूसरी बात यह है कि मौजूदा सड़कों की खाका भी सालों पुराना रहा है। शहरों के व्यस्त रूट भी उन स्थानों पर हैं यहां सड़क चौड़ीकरण या फोरलेन, सिक्स लेन का निर्माण भी आसान नहीं है। ऐसे में पांच-छह साल बाद ट्रैफिक व्यवस्था और बदहाल होगी। हालात देश की अन्य मेट्रो सिटी जैसे बनेंगे। लिहाजा सिंक्रोनाइजेशन की तकनीक से स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम को विकसित किया जा रहा है। बता दें कि शहरों के नए मास्टर प्लान में रोड प्लानिंग भी पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) के आधार पर की जा रही है।
नई तकनीक के लिए ऐसे होगा अमल
– शहरों के व्यस्ततम रूटों का चयन किया जाएगा जो पीक आवर्स में जाम से जूझते हैं।
– इन रूटों का टाइमिंग पीसीयू डाटा तैयार किया जाएगा।
– संबंधित शहर की यातायात पुलिस मैनुअल रिपोर्ट तैयार करेगी। इसमें तय रूट में लगने वाले समय, सिग्नल मिनट, स्पीड आदि की जानकारी होगी।
– मैनुअल रिपोर्ट के बाद रियल टाइम सर्वे किया जाएगा। ताकि मैनुअल रिपोर्ट में सुधार किया जा सके।
– स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम या ट्रैफिक कंट्रोल रूम के जरिए इस तकनीक को लागू किया जाएगा।
भोपाल में अब रियल टाइम सर्वे की तैयारी
राजधानी में स्मार्ट बीते छह सालों में सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन पर अमल नहीं हो पाया। मैनुअल रिपोर्ट तो चार बार तैयार की जा चुकी है। लेकिन रियल टाइम सर्वे अब तक नहीं हो पाया। स्मार्ट सिटी कंपनी और यातायात पुलिस को मिलकर यह सर्वे करना है। बिना आरटीएस के सिंक्रोनाइजेशन नहीं हो पाएगा। उधर, अफसरों ने शहर के सभी ट्रैफिक सिग्नल के लिए एक एजेंसी को हैंडओवर करने का भी इंतजार किया। फिलहाल भोपाल में तीन एजेंसियों के ट्रैफिक सिग्नल हैं। बता दें कि राजधानी में बोर्ड ऑफिस से प्रगति चौराहा, मानसरोवर चौराहा से गणेश मंदिर तक, ज्योति टॉकीज चौराहा से बोर्ड ऑफिस होते हुए व्यापमं चौराहा तक और बाणगंगा से रोशनपुरा होते हुए टीटी नगर से अपेक्स बैंक रूट पर सिंक्रोनाइजेशन की प्लानिंग की गई है।