लाहौर: पिछले हफ्ते इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जमकर बवाल हुआ। अब एक बार फिर लाहौर में स्थितियां तनावपूर्ण होने लगी हैं। पंजाब प्रांत की तरफ से दिए गए 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद आज क्या होगा, सबकी नजरें इस पर टिकीं हुई हैं। इमरान जो चुनावों के बाद फिर से देश का पीएम बनने का सपना संजो रहे थे, अब फिर से दुविधा में हैं। उनका राजनीतिक करियर अब किस रास्ते जाएगा, कोई नहीं जानता। मगर पाकिस्तान में विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि अब उनके पीएम बनने का रास्ता फिलहाल तो बंद हो चुका है। देश के सीनियर जर्नलिस्ट कमर चीमा ने ट्वीट किया और पूर्व पीएम की उन तीन गलतियों का जिक्र किया है जो उनके राजनीतिक करियर पर भारी पड़ रही हैं।
ISI चीफ की नियुक्ति पर बवाल
इमरान खान जिस समय देश के पीएम थे उस समय उन्होंने इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई के मुखिया की नियुक्ति पर जमकर बवाल किया। पहले साल 2019 में उन्होंने वर्तमान आर्मी चीफ जनरल असिम मुनीर को आईएसआई मुखिया बनाया। लेकिन जब उनसे उनकी नहीं बनी तो कुछ ही समय उन्हें हटाकर अपने फेवरिट ले. जनरल फैज हामिद को यह जिम्मा सौंप दिया। अक्टूबर 2021 में जब नए चीफ की तलाश शुरू हुई तो तत्कालीन आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने ले. जनरल नदीम अंजुम का नाम प्रस्तावित किया। लेकिन इमरान ने तुरंत न कर दी। इसके बाद पूर्व पीएम को झुकना पड़ा और बाजवा की पसंद को हामी भरनी पड़ी। इस पर काफी विवाद हुआ कई लोगों ने कहा कि जब अंजुम को ही बनना था तो फिर इतना हंगामा करने की क्या जरूरत थी।
आर्मी चीफ की नियुक्ति पर इमरान ने जो कुछ किया वह पूरी दुनिया ने देखा। बाजवा का कार्यकाल तीन साल के तो बढ़ाया ही साथ ही साथ सत्ता जाने के बाद भी सेना प्रमुख की नियुक्ति पर खूब बयान दिए। मुनीर की नियुक्ति के ऐलान से पहले इमरान ने बयान दिया कि देश के नए आर्मी चीफ की नियुक्ति का फैसला लंदन में लिया जाएगा। मुनीर के नाम के ऐलान से पहले पीएम शहबाज यूके गए थे और उन्होंने अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज से मुलाकात की थी। इमरान ने यह भी कहा कि नए आर्मी चीफ की नियुक्ति मेरिट पर होनी चाहिए कि सिफारिश पर। इसके साथ ही एक बार तो उन्होंने बाजवा का कार्यकाल एक साल बढ़ाने की वकालत तक कर दी थी।
इमरान का तीसरा और सबसे बड़ा पाप है सेना और जनता के बीच मतभेद और दरार पैदा करना। हाल ही में उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में जो कुछ हुआ, सारी दुनिया ने उसे देखा। सेना मुख्यालय के अलावा मिलिट्री के दूसरे इंस्टीट्यूट्स और यहां तक कोर कमांडर के घर तक को निशाना बनाया गया। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब सेना को इस तरह से जनता ने जलील किया है। पूरे देश में हुए विरोध प्रदर्शन में निशाना सिर्फ सेना ही थी। पिछले दिनों आर्मी चीफ जनरल मुनीर को यह कहना पड़ा कि अब अगर इस तरह की हरकत की गई तो फिर सेना बर्दाश्त नहीं करेगी। अप्रैल 2022 में जबसे इमरान ने सत्ता गंवाई है तब से ही वह सेना विरोधी बयान दे रहे हैं। अरेस्ट होने से पहले भी वह अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थकों को भड़काकर गए थे।