अमरोहा जिले में अनपढ और जाहिल पत्रकारों ने पत्रकारिता के सुनहरे दौर को गर्त में लाकर कर छोड़ दिया। जिले के तमाम मुख्य अधिकारियों के कार्यालय के बाहर माइक, आई डी और गले में एक न्यूज़ चैनल का आई कार्ड डाले पत्रकारों की भरमार देखी जा रही है। जिन्हें अगर कागज और कलम देकर उनका नाम पता और उनके संस्थान का नाम लिखने को कहा जाए तो वह भी नहीं लिख सकते हैं । लेकिन पीड़ित व्यक्ति हो या महिला उसे यह पत्रकार इतना ज्ञान दे देते हैं। वह उनके चंगुल में ही फंस जाता है और यहीं से पत्रकारिता के गर्त में जाने की कहानी शुरू हो जाती है। क्योंकि जिसको खुद का नाम पता लिखना न आता हो वह देश के संविधान कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यों में अपनी दखलअंदाजी दर्ज करवाने लगता है। सोशल मीडिया के जमाने में इस तरह के पत्रकारों की भीड़ देखी जा रही है । सोशल मीडिया के संस्थापक या उसके मालिक यह भी नहीं देखते हैं कि उनके नीचे काम करने वाला व्यक्ति की आखिरकार शैक्षिक योग्यता क्या है ? तमाम लोगों ने तो पत्रकारों के कृत्यों को देखते हुए यह तक पूछना शुरू कर दिया है कि आखिरकार इन पत्रकारों को बना कौन रहा है कुछ प्रिंट मीडिया में ऐसे भी की कुछ पैसे के लिए अखबार के संपादक अंगूठा टेक को अखबारों ज्वाइनिग कर लेते है लेकिन न लिखना आता है न पड़ना आता है यहां तक कि अगर सूचना विभाग की जांच कराई जाए तो बहुत लोगो के लेटर भी जमा नही है लेकिन उनके क्रियाकलापों और बर्ताव से कहीं नहीं लगता है कि वह पढ़े-लिखे पत्रकार है ।कुछ पत्रकार ऐसे भी है जो महिलाओं को अपने साथ रखत है और फोर व्हीलर गाड़ियों में फील्ड में घूमते है और अवैध वसूली भी करते है पत्रकारों को ये ही नही पता की पत्रकारिता क्या होती है क्या ऐसे पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए या नही देखते है प्रशासन क्या कार्यवाही करता है