प्रयागराज। महाकुंभ अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए चर्चित रहा है, लेकिन इस बार नाविकों की सफलता की कहानी भी सामने आई है। 20 हजार से अधिक नाविकों ने संगम में श्रद्धालुओं को पुण्य की डुबकी लगवा कर न केवल अपने परिवारों का भरण-पोषण किया, बल्कि कई परिवारों ने आर्थिक समृद्धि की कहानी भी लिखी।




मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में महाकुंभ के दौरान नाविकों की भूमिका को लेकर विपक्ष के सभी आरोपों को न केवल नकार दिया बल्कि उदाहरण के साथ स्पष्ट किया कि सरकार ने कभी भी उनका शोषण नहीं किया है।
उदाहरण देते हुए कहा, “एक नाविक परिवार के पास 130 नावें थीं और 45 दिनों की अवधि में उस परिवार ने 30 करोड़ रुपये की शुद्ध कमाई की। यानी एक नाव ने 45 दिनों में 23 लाख रुपये की कमाई की, जो इस मेले के रोजगार आधारित आय के बढ़ने का स्पष्ट उदाहरण है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महाकुंभ के आयोजन ने न केवल धार्मिक महत्व बढ़ाया, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान किए। 3,500 से अधिक नावों के संचालन में जो डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं को संगम में स्नान कराया गया, वह ऐतिहासिक है।
इस दौरान स्थानीय नाविकों और आसपास के जिलों के नाविकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रयागराज के अलावा मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, और कौशांबी जैसे जिलों से नाविक इस मेले में शामिल हुए।
नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद ने बताया, “हमारे लिए यह मेला मां गंगा और यमुना का आशीर्वाद साबित हुआ। एक छोटी नाव से तीन परिवारों का भरण पोषण हो सकता है, जबकि बड़ी नाव से पांच परिवार अपना जीवन यापन करते हैं।”
नाविकों की कमाई के बारे में बताया कि पूरे मेला के दौरान एक नाविक की न्यूनतम आय प्रति दिन लगभग 15,000 रुपये रही। मुख्यमंत्री ने सफाई अभियान के आरंभ के साथ सुरक्षा कर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान समारोह का भी उल्लेख किया और नाविकों के लिए एक पैकेज की घोषणा की भी जानकारी दी।
