लेखक: वरिष्ठ/स्वतंत्र पत्रकार
बांदा – बुंदेलखंड, विशेषकर बांदा जिले में, गौशालाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। गौवंश की दुर्दशा, भ्रष्टाचार, फर्जी आंकड़े और सरकारी अधिकारियों की लापरवाही ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। यह स्थिति न केवल पशु कल्याण के लिए खतरा है, बल्कि समाज की नैतिकता और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
गौशालाओं की दुर्दशा और मरते गौवंश
बांदा सहित पूरे बुंदेलखंड में स्थापित गौशालाओं की स्थिति दयनीय है। पर्याप्त भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में गौवंश ।की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है। कई गौशालाओं में क्षमता से अधिक पशु रखे गए हैं, जिससे उनकी देखभाल में कठिनाई होती है। इसके अलावा, सफाई और स्वच्छता की कमी के कारण बीमारियों का प्रसार हो रहा है, जिससे गौवंश की मृत्यु हो रही है।
भ्रष्टाचार और फर्जी आंकड़े
गौशालाओं के संचालन में भ्रष्टाचार एक प्रमुख समस्या बन गया है। सरकारी अनुदानों का दुरुपयोग, फर्जी आंकड़ों की प्रस्तुति और धनराशि के गबन के मामले सामने आए हैं। कई स्थानों पर गौशालाओं में मौजूद पशुओं की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती है ताकि अधिक अनुदान प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता और गौवंश की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।
सरकारी अधिकारियों की लापरवाही
गौशालाओं की निगरानी और संचालन के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की लापरवाही भी इस समस्या को बढ़ा रही है। नियमित निरीक्षण न होने, शिकायतों की अनदेखी करने और आवश्यक कार्रवाई न करने के कारण गौशालाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों की इस उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और गौवंश की दुर्दशा जारी है।
समाधान के प्रयास
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:—————-??
सख्त निगरानी और निरीक्षण: गौशालाओं की नियमित निगरानी और निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके।
भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई: गौशालाओं के संचालन में शामिल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
पारदर्शिता और जवाबदेही: गौशालाओं के संचालन में पारदर्शिता लाई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय समुदाय और स्वयंसेवी संगठनों की सहभागिता से गौशालाओं की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।
बांदा सहित समस्त बुंदेलखंड में गौशालाओं की दुर्दशा, मरते गौवंश, भ्रष्टाचार, फर्जी आंकड़े और सरकारी अधिकारियों की लापरवाही एक गंभीर समस्या है। इसके समाधान के लिए प्रशासन, समाज और संबंधित संगठनों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि गौवंश की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित हो सके।