देश में साल 2022-23 में ज्यादातर मेडिकल कॉलेज बिना प्रोफेसर के चलाए गए। यह जानकारी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने दी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर कॉलेज की फैकल्टी सिर्फ कागजों पर हैं। वहीं, सभी इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स की अटेंडेंस 50% से भी कम रही है।
NMC ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स इमरजेंसी डिपार्टमेंट में ड्यूटी को ब्रेक के तौर पर मानते हैं। वे रोजाना वहां नहीं जाते। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर के अलावा उनसे बात करने के लिए कोई नहीं होता।NMC ने एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजिशियन ऑफ इंडिया की शिकायत पर जवाब देते हुए यह बातें कहीं। दरअसल, AEPI ने NMC के नए मेडिकल कॉलेजों के लिए इमरजेंसी मेडिकल स्पेशलिस्ट की अनिवार्यता खत्म करने के फैसले के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
NMC ने हाल ही में जारी की गई अपनी एक नोटिफिकेशन में नए मेडिकल कॉलेजों से इमरजेंसी डिपार्टमेंट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। उन्होंने नए मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए अनिवार्य 14 डिपार्टमेंट में से इसे बाहर कर दिया है। 22 सितंबर को उन्होंने कहा था- इस डिपार्टमेंट की असल तस्वीर बिल्कुल अलग है।